Fark Shayari
चीखना_रूना और फिर आंसू पांच लेना,यही कहानी है ज्यादा #समझदार लोगो की।
Fark Shayari |
हमारा #TIME कुछ इस तरह आएगा जो नफरतकरता है वो भी हमें चाहेगा !!
अब ”फरक” नहीं पड़ता किसी के रूठ जाने से,जी तो हम_पहले से ही नहीं रहे,अब दर भी नहीं लगता #साँसे छूट जाने से।
जो भी मेरी_नज़रों से उतर गया,क्या फ़र्क़ पड़ता है,ज़िंदा है या ”मर” गया।
आज #कुछ नहीं बचा,पर खुश हु,अब #फ़र्क़ नहीं पड़ता, क्योकि जब फ़र्क़ नहीं पड़ता,ज़िन्दगी में “फ़र्क़” तभी आता है।
Mujhe Koi Fark Nahi Padta Status |
यूँ तो किसी से “फ़र्क़” नहीं पड़ता मुझे,पर है एक शख्स किसका_आना खलता है मुझे।
किसी की #याद को दिल में #बसा के रोये हैंकिसी की ”तस्बीर” को सीने से लगा के रोये हैं !!
मोहब्बत के उस #मुकाम पे जा पहुंचे है हम,की ना तेरे आने की ”ख़ुशी” ना तेरे जाने का गम।
Fark Nahi Padta Shayari |
वो_मेरा है तो कोई और उसे_क्यो देखेजाने क्यों #मुहब्बत मे बच्चा सा हो गया हुँ मैं !!
मेरे इश्क में #दर्द नही था…पर उसके लिये ‘आँसू’ और पानी में फ़र्क नही था…
जिसको_जाना है वो चला जाता हैउसे हमारे #रोने से भी कोई ‘फर्क’ नहीं पड़ता
नजरिया-बहुत छोटी सी चीज है,लेकिन इससे “फर्क” बहुत बड़ा पड़ता है…
सारी-दूनिया के रूठ जाने सेमुझे कोई #फर्क नहीं पड़ता,बस एक तेरा खामोश रहनाबहुत ”तकलीफ” देता है।
इस #इश्क की परवाह में,हम ‘तन्हा’ हो गये,सही कहते थे लोग,मोहब्बत #तनहा कर जाती है।
मेरे अलावा_काफ़ी लोग हैं उसकी #जिंदगी में,अब मैं रहूं या न रहूं क्या_फर्क पड़ता है।
ज़िन्दगी में “प्यार” क्या होता है ये उस #इंसान से पूछो,जिसने दिल टूटने के बाद भी #इंतज़ार किया हो।
हमारे “दरमियाँ” ये दूरियाँ न होती,और कुछ मेरी #मजबूरियां न होती,रहते न यूँ मेरे हाथ खाली,गर_ज़माने की ये बेड़ियाँ न होती।
ख़ामोशी #छुपाती है… ऐब और हुनर दोनों,शख्सियत का अंदाज़ा “गुफ्तगू” से होता है।
जाने क्या मुझसे_ज़माना चाहता है,मेरा दिल तोड़कर मुझे #हँसाना चाहता है,जाने क्या_बात है मेरे इस चेहरे से,हर शख्स मुझे #आज़माना चाहता है।
प्यार है इसलिये तेरी इतनी #फ़िक्र करता हूँ,जिस_दिन तू दिल से उतर गई,तेरा जिक्र भी नहीं करूँगा.
तुझ से “खफा” होकर भी देखेंगे एक दिनकि तेरा मनाने का #अंदाज कैसा है
जब भी उनकी_गली से गुज़रते हैं,मेरी आँखें एक #दस्तक दे देती हैं,दुःख ये नहीं वो ‘दरवाजा’ बंद कर देते हैं,ख़ुशी ये है कि वो_मुझे पहचान लेते हैं।
याद कर वो #वक़्त जब तेरी D.P देख कर के मेरी “धड़कने” तेज़ हो जाया करती थी,और आज तू किसी #मंज़र पर मेरे करीब से भी-गुज़र जाये तो मुझे फ़र्क़ न पड़े।
उस #दिन को भुला दूंगातेरी ‘यादों’ को जला दूंगाफर्क पड़ा अगर_तेरे जाने का मुझ परतो खुद को ”मिटा” दूंगा।
मुझे घंटा कोई_फरक नहीं पड़ता लोगो की #सोच सेमेरी ज़िन्दगी मेरी #मर्ज़ी से चलती है किसी की सोच से नहीं।
तुझे कितना भी ‘चाहूँ’ और कितना भी प्यार करलूँतुझे #फर्क नहीं पड़ता ……. अरेफर्क तब पड़ता जब तू किसी एक_की होकर रहती।
जहाँ आपके_ना होने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता,वहां आपका ना ”होना” बेहतर है।
#ख़त में मेरे ही ख़त के “टुकड़े” थे और ,,मैं समझा के मेरे #ख़त का जवाब आया है..!!
दुआओं में “सिर्फ” तुम्हे माँगा करते थेमिन्नतें सिर्फ तुझे #पाने की किया करते थेपर अब डर नहीं तुझे खोने काफर्क पड़ता नहीं तेरा_पास होने का या ना होने का।
इतना ”गुरूर” किया तूने अपने इस #मिट्टी के जिस्म पर तोजा-जा ये तेरा-जिस्म किसी और का हो जाएमुझे फर्क नहीं पड़ता
एक #तरफा प्यार कर हरा हूँ मेंतुझे भुला ना ”सकूँ” इतना बेचाराहूँ में !! Sorry by
हमारा #अंदाज कुछ ऐसा है, जब हम_बोलते हैं,तो बरस जाते हैं और जब #चुप रहते हैं तो लोग तरस जाते हैं…
#बताना तुझे मिल जाए मुझ-जैसा कोई औरअगर जा-जा तू औरों को आजमा लेमुझे ”फर्क” नहीं पड़ता !!
एक सपने के #टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाददूसरा सपना देखने के “हौसले” का नामजिंदगी हैं !!
Mujhe Koi Fark Nahi Padta Status
Unhe Koi Fark Nahi Padta Shayari |
हम पर जो ”गुजरी” है तुम क्या सुन पाओगेनाजुक सा दिल रखते हो रोने_लग जाओगे।
एक ”वक्त” था कि तुझसे बेइंतहां #प्यार करता थाअब तो तू खुद ”मोहब्बत” बन चली आए तोमुझे फर्क नहीं पड़ता
जो एक बार_नज़रों से उतर गया,फिर फरक नहीं #पड़ता की वोकहा गया।
वो जो_कहता था की तुम न मिले तो मर_जाएंगे हम,वो आज भी #जिन्दा है, ये बात किसी और से #कहने के लिए..!!
गमो की ”शाम” है पी लेने दोदर्द भरी रात में जी_लेने दोउसे घंटा फर्क नहीं ‘फर्क’ नहीं मेरी चाहत कासितम की रात है मर लेने दो।
जब #सामना हुआ उस बेदर्द सेमुझसे मेरा दिल “सवालात” करने लगाकहता है, क्या यही है वोजिसके लिये तुने मुझे_बेगाना कर दिया।
हर शख्स #परिन्दोँ का हमदर्द नही होता दोस्तोँबहुत बेदर्द बैठे हैँ दुनिया मे जाल_बिछाने वाले।
एक वक्त था कि तुझसे #बेइंतहां प्यार करता थाअब तो तू खुद मोहब्बत बन चली आए तोमुझे ”फर्क” नहीं पड़ता
बहुत #खास है वो शक्स मेरे लिए,फिर भी वो मेरा ”दिल” दुखाता है,सब के लिए वक्त है उसके पास,बस मुझसे ही_दूरियां बनाता है।
लोग_कहते हे हम बुरे है पर हुनको किया पता हम तोकिस्मत के मारे है पर ”हम” को लोगों से किया हमकोकिसी की सोच से कुछ-फर्क नहीं पड़ता।
फर्क था हम_दोनों की मोहब्बत मेंमुझे उससे ही थी और उसे #मुझसे भी थी
एक जैसी ”दिखती” है माचिस की वो तीलियांकुछ ने दिये #जलाए और कुछ ने घर
तजुर्बा_कहता है,मोहब्बत से ”किनारा” कर लूँ,और दिल कहता है,ये तज़ुर्बा #दोबारा कर लूँ।
हर शख्स ”परिन्दोँ” का हमदर्द नही होता दोस्तोँबहुत बेदर्द बैठे हैँ दुनिया मे जाल_बिछाने वाले।
गमो की #शाम है पी लेने दोदर्द भरी ”रात” में जी लेने दोउसे घंटा फर्क नहीं “फर्क” नहीं मेरी चाहत कासितम की_रात है मर लेने दो।
यूँ तो #किसी से फ़र्क़ नहीं पड़ता मुझे, पर है एक ”शख्स” किसका आना खलता है मुझे।
बेइंतेहा_प्यार में करूँ तेरी #परवाह में कर औरतुम्हे कोई “फर्क” नहीं पड़ता !!
मेरी #ख़ामोशी से किसी को कोईफर्क नहीं_पड़ता और शिकायतमें दो ”लफ्ज़” कह दूँ तो वो चुभजातें हैं !!
जिस_दिन तू रूठ जाती थीउस दिन….#यादें तेरी सताती थी।पर अब फर्क नहीं पड़ता मुझ परतेरे #हँसने और तेरे रोने काअब डर भी ना रहा मुझे .. संग तेरे ना होने का।
कैसे करें_हम ख़ुद कोतेरे प्यार के काबिल,जब हम #बदलते हैं,तो तुम शर्ते बदल देते हो
तेरी #नाराज़गी भी हमें दर्द दे जाती हैपर तुझे इससे कोई “फर्क” नहीं पड़ता।
अफ़सोस तो उस #वक्त करता हूँजिस वक्त में ‘तुम्हे’ याद किया करता थाछोड़ के सारे_कामो कोबस तेरी और सिर्फ तेरी,#फरियाद किया करता था।
तेरे नकली_प्यार की अब क्या तारीफ करूँअरे हँस के लुटा देता तुझ_पर म अपनी जानकह कर तो देखा होता ,वादे में पुरे करता सभीकभी हँस कर_कह दिया होतापर अब पर नहीं पड़ता मुझे “तेरे” होने या ना होने काउस वक्त अगर तूने, मेरा_प्यार समझ लिया होता।
एक तरफा_प्यार कर हरा हूँ मेंतुझे भुला ना सकूँ इतना_बेचारा हूँ में
Koi Fark Nahi Padta Shayari |
#मोहब्बत उसे भी बहुत है मुझसे ,,जिंदगी_सारी इस वहम ने ले ली…!!
उस ”दिन” को भुला दूंगातेरी यादों को ”जला” दूंगाफर्क पड़ा अगर तेरे जाने का मुझ परतो #खुद को मिटा दूंगा।
कभी तो तेरे_हँसने की भी फरियाद किया करते थेपर अब तो तेरे मर जाने का #गम भी नहीं।
इस ”तरह” मैंने चाहा है तुम्हेकोई और चाहे तो #भूल जाना मुझे
अब_कहना ही छोड़ दिया मैंनेकि तुम #मुझसे बात करो,जब मेरे ”रोने” से तुम्हे कोई फर्क नही पड़ता,तो मेरे होने या न होने से क्या #फर्क पड़ेगा
जब भी उनकी_गली से गुज़रते हैं मेरी आँखें एक “दस्तक” दे देती हैं दुःख ये नहीं वो दरवाजा बंद कर देते हैं #ख़ुशी ये है कि वो मुझे पहचान लेते हैं।
कोई खास_फर्क नहीं पड़ता अब ख़्वाहिशें अधूरी रहने पर बहुत_करीब से कुछ सपनों को #टूटते हुये देखा है मैंने।
इतना #गुरूर किया तूने अपने इस ‘मिट्टी’ के जिस्म पर तो जा-जा ये तेरा #जिस्म किसी और का हो जाए मुझे फर्क नहीं पड़ता।
चेहरा तो ”मिल” जायेगा हमसे भी खूबसूरत,पर जब बात दिल की #आएगी ना तो हार जाओगे।
उसने हमसे_पूछा तेरी रजा क्या है,क्यों करते हो ”पसंद” वजह क्या है,कोई बताए उसे मेरी खता क्या है,जो वजह से करे #पसंद किसी को,उसमें मजा क्या है ।
अफ़सोस तो उस #वक्त करता हूँ जिस वक्त में तुम्हे याद किया करता था #छोड़ के सारे कामो को बस तेरी और सिर्फ तेरी “फरियाद” किया करता था।
जब भी उनकी_गली से गुज़रते हैं, मेरी आँखें एक #दस्तक दे देती हैं, दुःख ये नहीं वो #दरवाजा बंद कर देते हैं, ख़ुशी ये है कि वो मुझे_पहचान लेते हैं।
याद नहीं ”करोगे” तो भूल भी ना सकोगे, मेरा #ख्याल जहां से मीठा भी ना सकोगे, एक बार जो तुम मेरे_गम से मिलोगे, तो सारी उमर #मस्कुरा न सकोगे।
दुआओं में “सिर्फ” तुम्हे माँगा करते थेमिन्नतें सिर्फ तुझे #पाने की किया करते थेपर अब डर नहीं तुझे खोने काफर्क पड़ता नहीं_तेरा पास होने का या ना होने का।
एक #वक्त था जब तेरी ‘परवाह’ किया करता थाअब तो तू मेरे ”खातिर” फना भी हो जाए तोमुझे फर्क नहीं पड़ताएक वक्त था कि तुझसे_बेइंतहां प्यार करता था
Fark Nahi Padta Shayari In Hindi |
पीठ पीछे कौन क्या_बोलता है फर्क नहीं पड़तासामने_किसी का मुहं नहीं खुलता इतना _काफी है
दिल से निकाल_फेका है तेरे उस प्यार कोजो दिल में था ”चूब” रहाभुला देंगे तेरी वो यादे जिनमेडूबा में #खुद रहा
वो ”वक़्त” था जब उनके #रूठने से भी डरता था,अब दूरी भी हो जाये तो #फ़र्क़ नहीं पड़ता,एक #वक़्त था जब किसी के साथ रहने पर लड़ जाता था,अब वो किसी और की भी हो जाये तो #फ़र्क़ नहीं पड़ता।
लौटना_मत भूल के भीइश्क़ से नफरत हो_चुकी है अब।
वो #जिसका तीर चुपके से ”जिगर” के पार होता है,वो कोई गैर होता नहीं अपना_रिश्तेदार होता है,किसी से अपने “दिल” बात तू कहना न भूले से,यहाँ ख़त भी ज़रा सी देर में #अखबार होता है।
फ़र्क़ को भी अब-फ़र्क़ नहीं पड़ता, हकीकत दूर की बात है, यह दिल तेरा_ज़िक्र अब ख्वाबों में भी नहीं करता।
फर्क_था हम दोनों की मोहब्बत मेंमुझे उससे ही थी और उसे #मुझसे भी थी
ता हम को #शिकायत की भी बाक़ी न रहे जा,सुन लेते हैं गो ”ज़िक्र” हमारा नहीं करते।ग़ालिब तेरा अहवाल_सुना देंगे हम उनको,वो सुन के बुला लें ये ‘इजारा’ नहीं करते।
जब भी उनकी_गली से गुज़रते हैं,मेरी आँखें एक #दस्तक दे देती हैं,दुःख ये नहीं वो ”दरवाजा” बंद कर देते हैं,ख़ुशी ये है कि वो मुझे पहचान लेते हैं।
हम पूरे_यकीन के साथ तो नहीं ‘कह’ सकते किजिस तरह की भेंट उन्होंने_चढ़ायी उससे कुछ फर्क पड़ा होगा या नहीं,क्योंकि दोनों में से किसी को नहीं #बताया गया था कि किसकिस्म की भेंट ”मंजूर” की जाएगी और किस किस्म की नहीं।
एक वक्त था जब_तुझे इन हजारों की भीड़ में भी तेरी #आईंडी को पहचान लिया करता थाकिसी और की डीपी में होती अगर तो “एहसासों” से पहचान किया करता थाअरे अब तो निगाहों से #ओझल किया है मैंने तुझे इस कदरकि तू मेरी कविता को चोरी-चोरी पढ़ भी रही है तोमुझे ”फर्क” नहीं पड़ता