Ilzaam Shayari: नमस्कार दोस्तों तो कैसे है आप लोग आशा करता हूँ की आप लोग ठीक होंगे, तो आज की जो हमारी पोस्ट है वो है Jhoote Ilzaam Shayari जब कोई अपना व्यक्ति हम पर झूठा इलज़ाम लगता है
तो हमे बहुत ही बुरा लगता है और न चाहते हुए भी उस इलज़ाम को सुविकार कर न पड़ता है। तो आज हम आपके लिए कुछ शायरी लेकर आये है जो की आप अपने व्हाट्सप्प पर लगा कर उसको उसकी गलती का एहसास करा सकते है। अगर हमारी पोस्ट आपको पसंद आये तो इसको अपने दोस्तों के साथ शेयर करे धन्यवाद।
Ilzaam Shayari
फिर “शाम” को आए तो कहा सुबह को यूं हीरहता है सदा आप पर #इल्ज़ाम हमारा
दिल के पुराने “इल्ज़ाम-ए-मर्ज़” , ने रुखसत नहीं ली । तुमने , उसपे नए #इल्ज़ामात की पट्टी चढ़ा दी । और ‘ज़ख्म’ फिर से हरे कर दिए ।
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Jhoote Ilzaam Shayari |
उदास “जिन्दगी”, उदास वक्त, उदास #मौसम,कितनी चीजो पे “इल्ज़ाम” लगा है तेरे ना होने से।
फिर #शाम को आए तो कहा सुबह को यूं ही,रहता है सदा आप पर इल्ज़ाम_हमारा।
सबको_फिक्र है खुद को सही #साबित करने की…जैसे ये जिँदगी…जिँदगी नहीँ…कोई “इल्ज़ाम” है…
उदास_ज़िन्दगी, उदास वक्त, उदास मौसम…न जाने कितनी चीज़ों पे #इल्ज़ामलग जाता है एक तेरे बात न करने से….
लफ्जों से इतना “आशिकाना” ठीक नहीं है ज़नाबकिसी के दिल के पार हुए तो “इल्ज़ाम” क़त्ल का लगेगा
हर “इल्ज़ाम” का हकदार वो हमे बना जाते है,हर खता कि #सजा वो हमे सुना जाते है,हम हर बार चुप रह जाते है,क्योंकि_वो अपना होने का हक जता जाते है।
बदल जाने का #इल्ज़ाम सिर्फ तुम्हे ही क्यों दू जब की “समय” के साथ साथ मैं भी बदल गई हूं
जुबां गन्दी होने का #इलज़ाम है मुझ पर खता सिर्फ इतनी है की हम_सफाई नहीं देते।
#गलतियों से अंजान_तू भी नहीं, मैं भी नहींदोनों #इंसान हैं, खुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं,तू मुझे और मैं तुझे “इल्ज़ाम” देता हूँ मगर,अपने अंदर #झाँकता तू भी नहीं, मैं भी नही।
दिल की “ख्वाहिश” को नाम क्या दूँ,प्यार का उसे #पैगाम क्या दूँ,दिल में ‘दर्द’ नहीं, उसकी यादें हैं,अब यादें ही दर्द दे, तो उसे #इल्ज़ाम क्या दूँ…
मेरी “तबाही” का इल्ज़ाम अब #शराब पर हैंमैं और करता भी क्या_तुम पे आ रही थी बात
जब अपनों ने ही हमे “गुनहगार” बना दिया,तो #गैरों से क्या उम्मीद रखूं।
बस यही “सोचकर” कोई सफाई नहीं दी हमने,कि #इलज़ाम झूठे ही सही पर #लगाये तो तुमने हैं…
उनकी गलतियों का “इल्ज़ाम” हमने अपने सिर ले लिया#खुद को रुसवा कर मैं_वफा का सुबूत उसे दिया.
दुनिया को मेरी “हकीकत” का पता कुछ भी नहीं, “इल्ज़ाम” हजारो हैं पर खता कुछ भी नहीं।
#मोहब्बत तो दिल से की थी,दिमाग उसने_लगा लिया,दिल तोड़ दिया ‘मेरा’ उसने,और “इल्ज़ाम” मुझपर लगा दिया…
मेरे_अल्फ़ाज़ को आदत है हौले से #मुस्कुराने की,मेरे शब्द कि अब किसी पर “इल्ज़ाम” नहीं लगाते।
जानकर_भी वो हमें जान ना पाए,आज तक वो हमें #पहचान ना पाए,खुद ही कर ली “बेवफ़ाई” हम ने उनसेताकि उन पर बेवफ़ाई का कोई #इल्ज़ाम ना आए.
बड़ा_अजीब सा वाकया हो गया आजखता की ही नहीं, पर #इलज़ाम लग गया।
ये “मिलावट” का दौर हैं “साहब”..यहा“इल्ज़ाम” लगायें जाते हैं ‘तारिफों’ के लिबास में..।।
#बेवफाई मैंने नहीं की है मुझे “इल्ज़ाम” मत देना, मेरा सुबूत मेरे अश्क हैं मेरा #गवाह मेरा दर्द है ।
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Ilzam Shayari |
कहीं अब #मुलाक़ात हो जाए हमसे, बचा कर के “नज़र” गुज़र जाइएगा… जो कोई कर जाए कभी ज़िक्र मेरा, हंसकर फिर सारे #इल्ज़ाम मुझे दे जाइएगा🤐…।।।
हँस कर #कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंने,ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया,हर “इलज़ाम” मुझ पर #मढ़ने का…
#बेवफ़ा तो वो ख़ुद हैं, पर #इल्ज़ाम किसी और को देते हैं,पहले नाम था मेरा #उनके लबों पर, अब वो नाम_किसी और का लेते हैं.
#गलतियों से अंजान तू भी नहीं, मैं भी नहीं दोनों_इंसान हैं, खुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं, तू मुझे और मैं तुझे “इल्ज़ाम” देता हूँ मगर, अपने अंदर ‘झाँकता’ तू भी नहीं, मैं भी नही।
झूठे “इल्ज़ाम” मेरी जान लगाया ना करो,दिल हैं नाजूक इसे तुम_ऐसे दुखाया ना करो,झूठे “इल्ज़ाम” मेरी जान लगाया ना करो…
“इल्ज़ाम” लगा दो लाख चाहे, लेकिन सच तुम_खुद निगल नही पाती। अगर उस दिन मैं छू देता तो, फिर तुम आज इस #कदर जल नही पाती।
इतनी सी #ज़िन्दगी में ख्वाब बहुत है, “ज़ुल्म” का पता नहीं पर इल्ज़ाम बहुत है।।
बड़ा “अजीब” दौर ए #जमाना चल रहा है यहांपता ही नहीं चलता तारीफ की जा रही कि,“इलज़ाम” लगाए जा रहे है।
फिक्र है सबको_खुद को सही साबित करने की, जैसे ये #जिन्दगी, जिन्दगी नही, कोई “इल्ज़ाम” है।
उदास “जिन्दगी”, उदास वक्त,उदास मौसम, कितनी_चीजो पे “इल्ज़ाम” लगा हैतेरे ना होने से।
“इलज़ाम” लगानेवालों ने लाख ‘कोशिश’ की मगरसच्चाई को छुपाने की #ख्वाहिश उनकी अधूरी ही रही।
#जानकर भी वो हमें जान ना पाए,आज तक वो हमें_पहचान ना पाए,खुद ही कर ली#बेवफ़ाई हम ने उनसे,ताकि उन पर बेवफ़ाई का कोई ‘इल्ज़ाम’ ना आए…
कोई “इल्ज़ाम” रह गया हो तो वो भी दे दोपहले भी हम बुरे थे, अब_थोड़े और सही
खुदा_तूने भी क्या खूब #मुकम्मल ये दुनिया करी है, बेगुनाह “सजा” काट रहे हैं और गुनेहगार *बा-इज़्ज़त* बरी है।
“इल्ज़ाम” है हम पर कि हम तेरे_दीवाने हैंतुम जलता ‘चिराग’ हो, और हम तेरे परवाने हैं.
कोई_प्यार करे और उस पर कोई “इल्ज़ाम” ना लगे, यह मुमकिन नहींहौसला हो और फिर भी प्यार ना मिले यह #मुमकिन नहीं.
#इल्ज़ाम ये था कि झुठा हूँ,मैं ‘सज़ा’ ये है कि उनसे रिहा हूँ,मैं
#बेवफा तो वो खुद थी, पर “इल्ज़ाम” किसी और को देती है. पहले नाम था मेरा उसके_लबों पर, अब वो नाम किसी और का लेती है #कभी लेती थी वादा मुझसे साथ न छोड़ने का, अब बही_वादा किसी और से लेती है।
हम ने देखी है इन_आँखों की महकती खुशबूहाथ से छूके इसे रिश्तों का #इल्ज़ाम न दोसिर्फ़ #एहसास है ये रूह से महसूस करोप्यार को प्यार ही रहने दो_कोई नाम न दो
Ilzaam Quotes In Hindi
सबको “फिक्र” है अपने आप को सही #साबित करने कीजैसे जिन्दगी नहीं कोई “इल्ज़ाम” है
मेरे दिल की_मजबूरी को कोई “इल्ज़ाम” ना देमुझे याद रख बेशक मेरा_नाम ना लेतेरा वहम है की मैंने भुला दिया तुझेमेरी एक_सांस ऐसी नही जो तेरा नाम ना ले
वक़्त बेवक्त “इल्ज़ामों” में घिरे है क्या कहे #इंसानो में घिरे है!
हँस कर #कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंनेज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर “इलज़ाम” मुझ पर मढ़ने का
तुम्हारे लिए खुद को #बदलने से,,, अभी तो तुम “खुश” हो जाओगे… मगर ,कुछ साल बाद यही #बदलाव देख के,,, अजनबी होने का इल्ज़ाम लगाओगे…
#कमाल का शख्स था जिसने “जिन्दगी” तबाह कर दी,राज की बात है दिल_उससे खफ़ा अब भी नहीं…
मेरी_तबाही का इल्ज़ाम अब #शराब पर हैंमैं और करता भी क्या #तुम पे आ रही थी बात
इस #जमाने के ना जाने कितने “इलज़ाम” सहे हमनेपर कभी भी तेरे न होने का #अहसास होने न दिया।
तुम मेरे लिए कोई “इल्ज़ाम” न ढूँढ़ोचाहा था तुम्हे, यही “इल्ज़ाम” बहुत है !!
खैर उनकी “याद” आती रही मुझे मगर वो याद करें या ना करें #बेवफ़ाई का इल्ज़ाम मुझे ही सहना है।
फिक्र है सब को_खुद को सही साबित करने की,जैसे ये #जिन्दगी, जिन्दगी नही, कोई “इल्ज़ाम” है!!
हर “इल्ज़ाम” का हकदार वो हमे बना जाते है,हर खता कि #सजा वो हमे सुना जाते है,हम हर बार_चुप रह जाते है,क्योंकि वो अपना होने काहक जता जाते है।
दिल की “ख्वाहिश” को नाम क्या दूँ,प्यार का उसे पैगाम क्या दूँ,दिल में_दर्द नहीं, उसकी यादें हैं,अब यादें ही दर्द दे तो उसे “इल्ज़ाम” क्या दूँ..
उदास #जिन्दगी, उदास वक्त, उदास_मौसम..कितनी चीजो पे “इल्ज़ाम” लगा है तेरे ना होने से !!
इक बार #फिर से मेरे दामन पर इश्क का “इल्ज़ाम” आया है भरी महफ़िल में #मोहब्बत का ज़िक्र हुआ और फिर मेरी_जुबान पर तेरा नाम आया है…
दिल-ए-बर्बाद का मैं तुझे #इल्ज़ाम नहीं देता,हाँ अपने लफ़्ज़ों में तेरे जुर्म जरूर लिखता हूँ,लेकिन तेरा_नाम नहीं लेता।
“धूर्तपन” की सारी हदें पार हो गई मैंने एक_गलती क्या कियाउन्होंने सारी “गलतियों” का आरोप #मुझपर ही मढ़ दिए।
#लफ्जों से इतना आशिकाना_ठीक नहीं है ज़नाब,किसी के दिल के पार हुए तो “इल्ज़ाम” क़त्ल का लगेगा…
हमारे हर “सवाल” का सिर्फ़ एक ही जवाब आया#पैगाम जो पहुँचा हम तक बेवफ़ा “इल्ज़ाम” आया
हर बार_हम पर,इल्ज़ाम लगा देते हो #मोहब्बत का,कभी खुद से पूछा है,की इतने_हसीन क्यों हो।
नाहक़ हम #मजबूरों पर ये #तोहमत है मुख़्तारी कीचाहते हैं सो आप करें हैं हम को अबस “बदनाम” किया
तू ने ही लगा दिया *इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई*#अदालत भी तेरी थी “गवाह” भी तू ही थी
“मोहब्बत” तो दिल से की थी, #दिमाग उसने लगा लिया,दिल तोड़_दिया मेरा उसने और “इल्ज़ाम” मुझपर लगा दिया.
करता हूँ तुमसे #मोहब्बत मरने पर “इल्ज़ाम” होगा,कफ़न उठा के देखना होठों पर_तेरा नाम होगा.
कुछ #बेवजह की साजिशें ,कुछ बेवजह “इल्ज़ाम” है ,दर्द_बस अपने दे रहे हैं,वह बेवजह बदनाम है।
जान_कर भी वो मुझे जान न पाए,आज तक वो मुझे #पहचान न पाए,खुद ही कर ली ‘बेवफाई’ हमने,ताकि_उन पर कोई इलज़ाम न आये।
“इल्ज़ाम” ये है कि #क़ाफ़िर हूं मैं, और ज़ुल्म ये है कि “ख़ुदा” से इश्क़ हुआ है।
ये “मिलावट” का दौर है जनाब यहाँ,इल्जामात लगाये जाते हैं “तारिफों” के लिबास में।
हँस कर #कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंने,ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर #इलज़ाम मुझ पर मढ़ने का।
कमाल का #शख्स था जिसने “जिन्दगी” तबाह कर दी,राज की बात है #दिल उससे खफ़ा अब भी नहीं.
दिल पे आये हुए “इल्ज़ाम” से पहचानते हैंलोग अब #मुझको तेरे नाम से पहचानते हैं
“मोहब्बत” तो दिल से की थी, #दिमाग उसने लगा लिया,दिल तोड़ दिया मेरा उसने और “इल्ज़ाम” मुझपर लगा दिया.
अक्सर कुछ “गलतियां” हम से हो जाती हैं ! हम “इल्ज़ाम” किसी और पर लगा बैठते हैं !!
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Ilzaam Quotes In Hindi |
बात बिगड़ जाएगी_अगर देखोगे यूं ही तुम कातिल निगाहों से, फिर “इल्ज़ाम” आएगा कि लगा दिया है रोग #इश्क का लेकर अपनी बाहों में।
हँस कर #कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंने,ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर “इलज़ाम” मुझ पर मढ़ने का।
फिक्र है सबको_खुद को सही साबित करने की,जैसे ये जिन्दगी, “जिन्दगी” नही, कोई “इल्ज़ाम” है।
मेरे सिर पर एक_इल्ज़ाम है मेरा #दिल किसी के नाम है
तू ने ही लगा दिया *इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई*अदालत भी तेरी थी #गवाह भी तू ही थी
हर “इल्ज़ाम” का हकदार वो हमे बना जाते है,हर खता कि सजा वो_हमे सुना जाते है,हम हर बार ‘खामोश’ रह जाते है,क्योकि_वो अपना होने का हक जता जाते है…