Dhoka Shayari – आप सभी दोस्तों का स्वागत है हमारे एक नई पोस्ट में तो दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आए हैं। Dhoka Shayari Hindi तो प्यार इश्क मोहब्बत इन सभी शब्दों को, सुनने में बहुत ही अच्छा लगता है पर जब अपनी मोहब्बत ही धोके बाज़ निकलती हैं।
तो बड़ा दर्द होता है, पर लकिन उस सच्चे और पहले प्यार को भुला देना बहुत ही मुश्किल होता है। फिर भी शायद कुछ लोगो के लिए अपने प्यार को भूलना बहुत मुश्किल होता है। खैर आजकल प्यार में धोखा बहुत ज्यादा ही हो रहा है।
इसी लिए हम आपके लिए लेकर आये है Pyar Me Dhoka Shayari जो की आपको कही न कही पसंद आयेंगी, अगर आपको यह शायरी पसंद आए तो जरूर से अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे अपने व्हाट्सएप ग्रुप में धन्यवाद दोस्तों।
Dhoka Shayari
“धोका” देने की मुझको तेरी #हिम्मत नहीं है, विश्वास पर वार किया है तुमने, वफ़ा “निभाने” की तेरी हैसियत नहीं है।
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Dhoka Shayari Hindi |
‘धोखा’ ना देना कि तुझपे ऐतबार बहुत है,ये दिल तेरी चाहत का #तलबगार बहुत है,तेरी ‘सूरत’ नादिखे तो “दिखाई” कुछ नहीं देता,हम क्या करें कि तुझसे हमें #प्यार बहुत है..
न तुमको कोई ऐसा #मौका देते की तुम “धोका” देते.अच्छा होता #बेडियो से बाँध करअपने ‘गिरफ्त’ में रखते.
‘धोखा’ देकर कोई नहींबचता इस #जिंदगी मेंकिसी ना किसी की बद्दुआजिंदगी_तबाह कर ही देती है
उन्हें “बेवफा” बोलूं तो अपमान है वफ़ा का!वो तो वफ़ा #निभा रहे हैं…कभी इधर कभी उधर…
कोई भी #मुझे हरा कर मेरी जान लेजा सकते हैं,हम इतना अपने अंदर #जुनून रखते हैं,लेकिन मुझे कोई…
उम्मीद न कर_इस दुनिया में,किसी से ‘हमदर्दी’ की,बड़े प्यारसे जख्म देते है, शिद्दत से चाहनेवाले !!
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Pyar Me Dhoka Shayari |
दिल ‘हज़ार’ बार चीखे उसे #चिल्लाने दीजिए,जो आपका नही हो सकता उसे जाने दीजिए।
चमक_चमक के सितारो मुझे #फ़रेब न दोतुम अपनी रात_गुज़ारो मुझे फ़रेब न दो
#हवस ने पक्के मकानबना लिए हैं ‘जिस्मो’ मेंऔर सच्ची_मोहब्बत किराए कीझोपड़ी में #बीमार पड़ी है आज भी
आदमी_जान के खाता है “मोहब्बत” में फ़रेबख़ुद-फ़रेबी ही ‘मोहब्बत’ का सिला हो जैसे
आदमी_जान के खाता है “मोहब्बत” में फ़रेबख़ुद-फ़रेबी ही ‘मोहब्बत’ का सिला हो जैसे
अब मत खोलना मेरी “जिंदगी” की पुरानी“किताबों” को, जो था वो मैं रहा नहीं जो हूँवो किसी को पता नहीं।
साथ_जिने मरने का वादा थामर के भी साथ ना #छोड़ने का वादा था,सारी ‘बातो’ से तू मुखर क्यों गयी,ऐ सनम तू मुझको ‘धोखा’ देकर चली गयी,अब जरूरत नहीं किसी की भी,अब उदासी_से ही मेरी बनती है.
तुझसे ‘प्यार’ बहुत ज्यादा था,तेरी हर बात का मुझे “अंदाजा” था,तुने मुझे #अचानक कुछ ऐसा दर्द दे दिया,‘धोखा’ का तोहफ़ा मेरे_दिल को दे दिया,
‘धोखा’ मिला जब “प्यार” में ज़िन्दगी मेंउदासी छा गई,सोचा था छोड़ देंगे इस राह कोकम्बख़त “मोहल्ले” में दूसरी आ गई
‘धोखा’ देकर ऐसे चले गएजैसे कभी जानते ही नहीं थीअब ऐसे #नफरत जताते होजैसे प्यार को मानते ही नहीं थे
कितने “मकसदो” के साथ जी रहे थे हमउस बेवफा ने ‘धोखा’ क्या दियामेरी #Life का हर मकसदहमसे छीन लियासनम_बेवफा
Boyfriend Dhoka Shayari
सच्चे_दिल जब_मिलते हैतो ‘धोखे’ का वजूद नहीं छोड़ते.
*यक़ीन* उसी के वादे पे लाना पड़ेगाये ”धोका” तो दानिस्ता_खाना पड़ेगा
दिल_किसी से तब ही लगाना जब #दिलो को परखना सिख लोहर एक चेहरे की ‘फितरत’ में वफादारी नहीं होती
हर हीरा_चमकदार नहीं होता,हर समंदर गहरा नहीं होता…दोस्तो जरा #संभल कर प्यार करना,हर खूबसूरत चेहरा_वफादार नहीं होता…
पल_पल उसका साथ निभाते हमएक इशारे पे #दुनिया छोड़ जाते हमसमुन्द्र के बीच में पहुच कर #फरेब किया उसनेवो कहता तो “किनारे” पर ही डूब जाते हम
हमे लगा हमे देख कर #मुस्कुराना सीखा हैउन्होंने, पर वो तो ‘पैसों’ से मुस्कुराया करते थे।
‘धोखा’ देकर ऐसे चले गए,जैसे कभी जानते ही नहीं थे.अब ऐसे_नफरत जताते हो,जैसे प्यार को मानते ही नहीं थे।
तेरे जाने के बाद अब #ज़िन्दगी में कुछ भी हसीन नहीं रहा, तुझे खुदा #बनाने के बाद तो अब मुझे खुदा पर भी “यकीन” नही रहा।
#चाहूँ तो भी मैं अपनी कहानी किसी से_भी नहीं कह सकता. उसमे नाम ‘तेरा’ भी आएगा और मैं तुझे “बेज़्ज़त” नहीं कर सकता।
ज़ख्म_भर जाएंगे, तुम मिलो तो सहीदिन सँवर जाएंगे, तुम #मिलो तो सही#रास्ते में खड़े दो अधूरे सपनएक घर जाएंगे, तुम_मिलो तो सही..
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Rishte Dhoka Shayari |
#किसी का यूँ तो हुआ कौन_उम्र भरफिर भी ये हुस्नओ इश्क़ तो ‘धोखा’ है सब मगर फिर…
जीते जी #मौत से रूबरू होना हैतो किसी बेवफा से #मोहब्बत कर लो
अजीब “जिंदगी” है दोस्तों मेरीकिसी के साथ ‘धोखा’ ना हो इसलिये किसी और को ‘धोखा’ देकर आ गया।चल #वापिस घर चलते है
बड़ा ही फर्क था तेरी और मेरी #मोहब्बत में ,तूने सिर्फ “आज़माया” हमने सिर्फ यकीन किया।
सच्चा #इश्क किया थातो अब, हम भी “बेवफाई” के गीत गायेंगेबेवफाई में तेरा नाम न उठेइसलिए हम आसू_लेकर हर शहर मुकुरायेंगे
#विश्वास तो अपनों पर ही किया जाता है,अब जाना_ज़ख्म भी उन्हीं से मिलता है।
मैं ‘मतलबी’ नहीं जो साथ रहने_वालो को ‘धोखा’ दे दू..बस मुझे समझना हर_किसी के बस की बात…
तेरे बिन #टूट कर बिखर जाएंगे ,तुम मिल जाओ तो #गुलशन की तरह खिल जाएंगेतुम ना मिली तो जीते जी मर जाएंगेतुम्हे जो पा_लिया तो मर कर भी जी जाएंगे।
न जाने_उनकी क्या मजबूरी थी;जो छोड़ गए हमें;#किस्मत ने कहा इसमें उनका कोई ‘कसूर’ नहीं;ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी।
इन #आँखों में आँसू आये न होते अगर वो पीछे से “मुस्कुराये” न होतेउनके जाने के बाद_बस यही गम रहेगाकि ‘काश’ वो हमारी ज़िन्दगी में आये न होते
चाँद_उतरा था हमारे “आँगन” में,ये सितारों को #गवाँरा ना हुआ…हम भी #सितारों से क्या गिला करें,जब ‘चाँद’ ही हमारा ना हुआ……
‘धोखा’ खाकर भी हम ज़िन्दा हैं,तेरे दर्द के साथ भी हम_जिन्दा हैं,
कोई ‘तुमसा’ भी काश तुम को मिले…मतलब तो हम को बस #इन्तकाम से है!!!
दिल के ‘दर्द’ को दिखाना बड़ा मुश्किल है.“धोका” खा कर बताना बड़ा_मुश्किल है.
वो “मुझसे” ज्यादा चाहेगा इसे कुछदिनों में ये भरम_टूट जायेगा ,मैं ज़रूर याद आऊंगा उस बेवफाको जब ‘उसका’ साथ बेवजह उससे रूठ जायेगा।
पल पल उसका_साथ निभाते हम एक इशारे पे #दुनिया छोड़ जाते हमसमुन्द्र के बीच में पहुच कर_फरेब किया उसने वो कहता तो #किनारे पर ही डूब जाते हम
साथ_जीने मरने का वादा था.मर के भी साथ न #छोड़ने का वादा था.सारी_बातों से तू मुखर क्यूँ गयी.ए सनम तू मुझे “धोका” दे कर चली गयी.लोग सब बहुत अच्छे होते है बशर्ते..हमारा वक्त_अच्छा होना चाहिए।
तुमने हमें ‘धोखा’ दिया,मगर ‘तुम्हे’ प्यार मिले।मुझसे भी ज़्यादा_दीवाना,तुम्हे कोई #यार मिले।
“दिवारों” के पीछे क्या किरदार हूँ मै?यह राज़ मेरे #आंगन तक को नहीं पता है,तुम बस इतना समझ लो इश्क मे “बरबाद” हो गया,उसका नाम क्या था यह किसी और दिन बताएंगे,
“हैसीयत” ही नहीं थी, हमारी तुम्हे चाहने की,तभी तो ‘कोशिश’ नहीं की, तुमने वापस_लौट आने की।
दोस्ती_करो तो हमेशा मुस्करा कर,किसी को ‘धोखा’ ना दोअपना बना कर,करलो_याद जब तक हम ज़िंदा है,फिर ना #कहना चले गए हम_में यादें बसाकर…
“यक़ीन” उसी के वादे पे #लाना पड़ेगाये ”धोका” तो दानिस्ता ‘खाना’ पड़ेगा
इस ‘मतलब’ की दुनिया मेंइश्क सिर्फ #दिखावा हैतुझे भी ‘धोखा’ मिलेगायह मेरा वादा है
तेरे इस झूठे “मोहब्बत” के फ़साने में ऐसा खो गया मैं. की तुझे पाने के लिए #दुनिया तो छोड़ो खुद को भी भूल गया मैं।
सुना है वो_जाते हुए कह गये,के अब तो हम सिर्फ़_तुम्हारे#ख्वाबो मे आएँगे,कोई कह देउनसे के वो #वादा कर ले,हमजिंदगी भर के लिए सो जाएँगे.
Rishte Dhoka Shayari
‘धोखा’ भी #बादाम की तरह हैजितना_खाओगे उतनी अक्ल आती है !!
मुँह पर “कड़वा” बोलने वाले लोग कभी ‘धोखा’ नहीं देतेडरना तो मीठा #बोलने वालों से चाहिएजो दिल में नफरत_पालते हैं और वक़्त के साथ बदल जाते हैंशीशा ‘कमज़ोर’ बहुत होता है मगर सच #दिखाने से घबराता नहीं है
खेलते रहे वो मेरी #मोहब्बत के साथ,जब दिल भर गया तो छोड़ दिया,जब मैंने_जवाब मांगा तो हंसकर कह दिया,देने के लिए कुछ नहीं था, तो मैंने ‘धोखा’ ही दे दिया।
*मेरे न हो सके* तो ऐसा कर दो…मई जैसा पहले था मुझे #वैसा कर दो!!!
उनकी कमी से #दिल मेरा उदास है, पर मुझे तो आज भी उनके_मिलने की आस है, ज़ख़्म नही पर #दर्द का एहसास है, ऐसा लगता है दिल का एक टुकड़ा_आज भी उनके पास है.
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Boyfriend Dhoka Shayari |
‘धोखा’ देकर उसे जरा भी #सिकंज ना था,मेरे हर एक वफा को उसने_मोड़ हि दिया था,
छोड़ दी किसी “बेवफा” की आस…जो_रूठ सकते हैं वो भूल भी सकते हैं!
धीरे से “इज़हार” फिर प्यार और अब बेवफाई,बड़ी चालाकी से उस “धोखेबाज” ने मुझे बर्बाद कर दिया।दिल_रोया फिर भी होंठों पर मुस्कान थी,जो प्यार का एक #लम्हा तक न दे पाया,उस बेवफा के नाम हमारी पूरी जिंदगी थी।।
लोगों_का क्या है, ये दुनिया हैं यहाँ अपने #हाथों की लकीरें भी_बदल जाती हैंसाहब.
“दिल” से रोये मगर होंठो से #मुस्कुरा बेठे,यूँ ही हम किसी_से वफ़ा निभा बेठे,वो हमे एक ‘लम्हा’ न दे पाए अपने प्यार का,और हम उनके लिये जिंदगी_लुटा बेठे..
तू भी “सादा” है कभी चाल #बदलता ही नहीं हम भी #सादा हैंइसी चाल में आ जाते हैं
अब मत_खोलना मेरी #जिंदगी की पुरानीकिताबों को, जो था वो मैं रहा नहीं जो हूँवो किसी_को पता नहीं।
अगर_किसी दिन तुम्हे रोना आये तो कॉलजरूर कर लेना, हँसाने की #गारंटी तो नहीलेता पर_तेरे साथ रोऊँगा जरूर…
क्यों “अनजाने” में हम अपना #दिल गवा बैठे।क्यों प्यार में हम ‘धोखा’ खा बैठे।उनसे हम अब क्या #शिकवा करे कयोंकि गलती हमारी ही थी।क्यों हम #बेदिल इंसान से ”दिल” लगा बैठे।
सुना है वो #जाते हुए कह गये, के अब तो हम सिर्फ़ तुम्हारे “ख्वाबो” मे आएँगे, कोई कह दे उनसे के वो “वादा” कर ले, हम जिंदगी #भर के लिए सो जाएँगे.
मैंने खाया है #चिरागों से इस कदर ‘धोखा’,मै जल रहा हूँ सालों से मगर “रौशनी” नहीं होती
अपने “दिल” की बात उनसे कह नहीं सकते,बिन कहे भी जी नहीं_सकते, ऐ खुदा! ऐसी#तकदीर बना,कि वो खुद हम से आकरकहे कि, हम आपके #बिना जी नही सकते.
इस से पहले कि बे_वफ़ा हो जाएँक्यूँ न ऐ “दोस्त” हम जुदा हो जाएँ
उनसे #इनकार करने का ‘इरादा’ था लेकिन इकरार कर बैठे,इस दुनिया की #बेरुखी से अंजान थे, इसलिए_प्यार कर बैठे।
आहटे_जाग उठी…. रास्ते #हँस दिए!!थामकर ‘दिल’ उठे!!! हम किसी के लिए!!!कई बार ऐसा भी… ‘धोखा’ हुआ है!!!चले आरहे हैं …वो नज़रे झुकाए!!!
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Shayari Dhoka |
फिर से उसी ‘शक्श’ से प्यार की #उम्मीद करता है,ऐ दिल तुझें “इज्ज़त” रास नही आती क्या?
इन #आँखों में आँसू आये न होते अगर वो “पीछे” से मुस्कुराये न होतेउनके जाने के बाद_बस यही गम रहेगाकि काश वो हमारी #ज़िन्दगी में आये न होते
रिश्तें_टूट कर चूर चूर हो गये,धीरे धीरे वो हमसे_दूर हो गये,हमारी “खामोशी” हमारे लिये गुनाह बन गई,और वो गुनाह कर के #बेकसूर हो गये।
कुछ_लुटकर, कुछ लूटाकर लौट आया हूँ,वफ़ा की उम्मीद में ‘धोखा’ खाकर लौट आया हूँ |अब तुम_याद भी आओगी, फिर भी न पाओगी,हसते लबों से ऐसे सारे ग़म #छुपाकर लौट आया हूँ |
अजीब “दस्तूर है हमारे संग_ज़िन्दगी का हम जैसे ही “खुद” को दूसरों परभरोसा करने का #मौका देते है वही लोग हमे “धोका” देते है।
मुझसे दूर जाने के लिए उन्हें “दुनिया” को गुनहगार साबित करना पड़ा. पर क्या ये दुनिया #बेग़ुनाह हो गयी जब वो दूसरे के हो गए।
सारी चोटेँ “मुहब्बत” की सम्हालने मेँ, मैँ इक रक़ीब के पहलू #मरहम छोड़ आया हूँ, देखता हूँ कब आयेगा “मुहब्बत” का सावन, किसी की आँखोँ मेँ चाहत का #मौसम छोड़ आया हूँ, इंतज़ार है तो बस उसके #लबोँ के खुलने का, मैँ उसकी साँसोँ मेँ अपनी “सरगम” छोड़ आया हूँ, मुझे तो आदत है बेरुख़ी के साथ जीने की, उसके “नसीब” मेँ मैँ सारी महरम छोड़ आया हूँ.
अभी “सूरज” नहीं डूबा ज़रा शाम होने दोमैं खुद लौट जाउँगा मुझे_नाकाम तो होने दोमुझे “बदनाम” करने का बहाना ढूंढ़ता है ज़मानामैं खुद हो जाऊंगा बदनाम_पहले मेरा नाम तो होने दो