Munshi Premchand Quotes: अनमोल विचार हमारे जीवन में गहरा प्रभाव डालते हैं। ऐसे ही अनमोल विचार का पिटारा आप के लिए तैयार किया है। हम लोग बात कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार की। प्रेमचंद जमीन से जुड़े हुए कथाकार और उपन्यासकार थे और उनका बचपन काफी संघर्षों भरा था, जो उनकी रचनाओं में भी दिखता है।
उन्हें ग्राम्य जीवन की बहुत अनोखी परख थी। उनका सम्पूर्ण साहित्य दलित, दमित, स्त्री, किसान और समाज में हाशिये पर जी रहे लोगों की लड़ाई का साहित्य है, हिन्दी और उर्दू के महानतम प्रसिद्द लेखक मुंशी प्रेमचंद कों कौन नहीं जानता इनका परिचय देना सूरज को दिया दिखाने के जैसा हैं.. प्रेमचन्द का जन्म उत्तरप्रदेश बनारस से लगभग 4 किलोमीटर दूर लमही गाँव में ३१ जुलाई सन् १८८० हुआ था.. इनके पिता श्री का नाम अजायब राय था. जोकि डाकघर में एक मामूली सी नौकरी करते थे.
इन्होने अपनी रचनाओं में दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं पर दृढ़ता से अपने विचार रखे हैं। इस संग्रह को पढ़ कर हमारे जीवन में सकारात्मक विचार आयेंगे। इन विचारों से किसी विषयवस्तु के बारे में हमारी सोच सुदृढ़ होगी; और हम अपने आप को यथार्थ के अधिक करीब पाएंगे।
Munshi Premchand Quotes
”अतीत” चाहे जैसा रहा हो, उसकी स्मृतियाँ प्रायः #सुखद ही होती हैं।
Munshi Premchand Quotes |
अनाथों का क्रोध ”पटाखे” की आवाज है, जिससे बच्चे_डर जाते हैं और असर कुछ नहीं होता।
Munshi Premchand Quotes In Hindi |
जीवन का #वास्तविक सुख, दूसरों को ”सुख” देने में है; उनका सुख_लूटने में नहीं।
जिस बन्दे को पेट भर_रोटी नहीं मिलती, उसके लिए #इज्जत और मर्यादा सब ढोंग है।
यदि झूठ ”बोलने” से किसी की जान बचती है तो, झूठ_पाप नही पुण्य है
सफलता_दोषों को मिटाने की #विलक्षण शक्ति है।
इतना पुराना ”मित्रता” रुपी वृक्ष सत्य का एक झोंका भी न सह सका। #सचमुच वह बालू की ही जमीन पर खड़ा था।
विलासियों #द्वारा देश का उद्धार नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा_त्यागी होना पड़ेगा।
कुल की #प्रतिष्ठा भी विनम्रता और ”सदव्यवहार” से होती है,हेकड़ी और #रुआब दिखाने से नहीं।
जवानी ”जोश” है, बल है, साहस है, दया है, #आत्मविश्वास है, गौरव है और वह सब कुछ है जो “जीवन” को पवित्र, उज्ज्वल और पूर्ण बना देता है।
अपनी भूल अपने ही हाथों से #सुधर जाए, तो यह उससे कहीं अच्छा है कि कोई_दूसरा उसे सुधारे।
जिस प्रकार #नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है उसी प्रकार ”बुद्धिहीन” के लिए विद्या बेकार है।
यश_त्याग से मिलता है, #धोखाधड़ी से नहीं।
अनाथ बच्चों का “हृदय” उस चित्र की भांति होता है जिस पर एक_बहुत ही साधारण परदा पड़ा हुआ हो। पवन का #साधारण झकोरा भी उसे हटा देता है।
#आदमी का सबसे बड़ा शत्रु उसका ”अहंकार” है
जिस तरह सुखी लकड़ी_जल्दी से जल उठती है, उसी तरह भूख से बावला #मनुष्य जरा जरा सी बात पर तिनक जाता है।
नमस्कार करने वाला “व्यक्ति” विनम्रता को ग्रहण करता है और #समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है।
#लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ ”दर्द” है, अनुराग है, लगन है, विचार है। जिन्होंने #धन और भोग विलास को जीवन का “लक्ष्य” बना लिया, वो क्या लिखेंगे?
#कर्तव्य कभी आग और पानी की #परवाह नहीं करता, कर्तव्य पालन में ही #चित्त की शांति है।
खाने और #सोने का नाम जीवन नहीं है, ”जीवन” नाम है- आगे बढ़ते रहने की लगन ।
एक #अनाथ बच्चे का हृदय चित्र पर पड़े हुए साधारण_परदे के समान होता है जो हवा के साधारण #झकोरे से हट जाता है |
यह जमाना #चाटुकारिता और सलामी का है तुम_विद्या के सागर बने बैठे रहो, कोई ”सेत” भी न पूछेगा।
नारी और सब कुछ_बर्दाश्त कर लेगी, पर अपने #मायके की बुराई कभी नहीं।
#न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही #खिलौने हैं। इन्हें वह जैसे चाहती है, ”नचाती” है।
तुम मुझसे_बड़ी हो। तुम हृदय से सचमुच #मुझसे बड़ी हो।
केवल #बुद्धि के द्वारा ही मनुष्य का #मनुष्यत्व प्रकट होता है।
कार्यकुशल_व्यक्ति की सभी जगह #जरुरत पड़ती है |
विपत्ति से ”बढ़कर” अनुभव सिखाने वाला कोई #स्कूल आज तक नहीं खुला, और न ही खुलेगा |
दूसरो को लूटने में नहीं #बल्कि दूसरो को सुख देने में जीवन का ”असली” सुख है।
पहाड़ों की #कंदराओं में बैठकर तप कर लेना_सरल है,लेकिन #परिवार में रहकर धीरज बनाए रखना “सबके” वश की बात नहीं।
स्त्री #गालियां सह लेती है, मार भी सह लेती है, पर ”मायके” की निंदा उससे नहीं सही जाती।
अपनी भूल अपने ही #हाथों से सुधर जाए, तो यह उससे कहीं ”अच्छा” है कि कोई दूसरा उसे सुधारे।
जो प्रेम #असहिष्णु हो, जो दूसरों के मनोभावों का तनिक भी ”विचार” ना करे, जो दूसरों पर मिथ्या कलंक आरोपण करने में “संकोच” ना करे, वह उन्माद है प्रेम नहीं।
Premchand Quotes In Hindi |
लोग_मेरे साथ खेलते गएऔर मैं शब्दों में उसे_उतारता गया…..
#बूढो के लिए अतीत में सूखो और ”वर्तमान” के दु:खो और भविष्य के सर्वनाश से ज्यादा #मनोरंजक और कोई प्रसंग नहीं होता।
चिंता एक काली #दिवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से ”निकलने” की फिर कोई गली नहीं सूझती।
#अनुशीर्षक में पढ़िए कवयित्री ‘महादेवी’ वर्मा का एक लेख जिसमें उन्होंने लिखा कि #प्रेमचंद को लेकर वे क्या सोचती हैं
जीवन में #सफल होने के लिए ज्ञानवान और शिक्षित होना जरुरी है, सिर्फ_डिग्रियां लेना काफी नहीं होता।
मनुष्य #बराबर वालों की हंसी नहीं सह सकता, क्योंकि उनकी हंसी में ईर्ष्या, #व्यंग्य और जलन होती है।
मै एक #मज़दूर हूँ, जिस दिन कुछ लिख न लूँ,उस दिन मुझे रोटी “खाने” का कोई हक नहीं…
हिम्मत और हौसला #मुश्किल को आसान कर सकते हैं, आंधी और “तूफ़ान” से बचा सकते हैं, मगर चेहरे को खिला सकना उनके #सामर्थ्य से बाहर है।
मुहब्बत_अमृत की बूंद के समान है जो मरे हुए #भावों को जिंदा कर देती है।
चोर केवल ‘दंड’ से नहीं बचना चाहता, वह अपमान से भी #बचना चाहता है। वह दंड से उतना नही डरता है ,जितना कि #अपमान से।
वही तलवार, जो #केले को नहीं काट सकती। शान पर चढ़कर ”लोहे” को काट देती है। मानव जीवन में आग बड़े महत्व की #चीज है। जिसमें आग है वह बूढ़ा भी तो #जवान है। जिसमे आग नहीं है, गैरत नहीं, वह भी मृतक है।
आदमी का ‘सबसे’ बड़ा दुश्मन गरूर है।
#कभी-कभी हमें उन लोगों से शिक्षा मिलती हैजिन्हें हम अभिमान वश #अज्ञानी समझते हैं
ऐश की भूख #रोटियों से कभी नहीं मिटती. उसके लिए दुनिया के एक से एक उम्दा_पदार्थ चाहिए।
प्रेम एक ऐसा #बीज है, इसे एक बार ज़माने के बाद फिर बड़ी “मुश्किल” से उखड़ता है।
मनुष्य का ”उद्धार” पुत्र से नहीं, अपने कर्मों से होता है। यश और #कीर्ति भी कर्मों से प्राप्त होती है। संतान वह सबसे कठिन_परीक्षा है, जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए दी है।
किसी किश्ती पर अगर फर्ज का #मल्लाह न हो तो फिर उसके लिए दरिया में डूब जाने के #सिवाय और कोई चारा नहीं।
#क्रोध में मनुष्य अपने मन की ”बात” नहीं कहता,वह केवल दूसरों का #दिल दुखाना चाहता है…
#सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है,जो अपने कर्तव्य पथ पर ”अविचल” रहते हैं..
यदि ऐसे #शिक्षालयों से पैसे पर जान देने वाले, पैसे के लिए “गरीबों” का गला काटने लगे, पैसे के लिए अपनी आत्मा बेच देने वाले #छात्र निकलते हैं तो आश्चर्य क्या है?”
#आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपना घर_याद आता है।
हम जिनके लिए ‘त्याग’ करते हैं, उनसे किसी बदले की आशा ना #रखकर भी उनके मन पर शासन करना चाहते हैं। चाहे वह #शासन उन्हीं के हित के लिए हो। त्याग की #मात्रा जितनी ज्यादा होती है, यह शासन भावना उतनी ही प्रबल होती है।
#साक्षरता अच्छी चीज है और उससे जीवन की कुछ #समस्याएं हल हो जाती है, लेकिन यह समझना कि किसान निरा ”मुर्ख” है, उसके साथ अन्याय करना है|
मनुष्य ”बिगड़ता” है या तो परिस्थितियों से अथवा पूर्व #संस्कारों से, परिस्थितियों से गिरने वाला मनुष्य उन #परिस्थितियों का त्याग करने से ही बच सकता है।
अज्ञान की भांति_ज्ञान भी सरल, निष्कपट और सुनहले #स्वप्न देखने वाला होता है। मानवता में उनका विश्वास इतना दृढ़,इतना ”सजीव” होता है कि वह इसके विरुद्ध व्यवहार को “अमानुषीय” समझने लगता है। यह वह ”भूल” जाता है की भेड़ियों ने भेडो को निरीहता का जवाब सदैव_पंजों और दांतो से दिया है। वह अपना एक आदर्श संसार बनाकर ”आदर्श” मानवता से अवसाद करता है और उसी में मग्न रहता है।
चापलूसी का जहरीला #प्याला आपको तब तक नहीं नुकसान पहुंचा सकता जब तक कि आपके_कान उसे अमृत समझ कर पी ना जाए।
जिस साहित्य से ‘हमारी’ सुरुचि न जागे, आध्यात्मिक और “मानसिक” तृप्ति न मिले, हममें गति और शक्ति न पैदा हो, हमारा #सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जो हममें संकल्प और “कठिनाइयों” पर विजय प्राप्त करने की #सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करें, वह हमारे लिए बेकार है वह #साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है।
जीवन को ”सफल” बनाने के लिए शिक्षा की जरुरत है, डिग्री की नहीं। हमारी_डिग्री है, हमारा सेवा भाव, हमारी नम्रता, हमारे #जीवन की सरलता अगर यह डिग्री नहीं मिली, अगर_हमारी आत्मा जागृत नहीं हुई तो #कागज की डिग्री व्यर्थ है।
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