Chand Shayari: दोस्तों आज हम इस पोस्ट पर आपके लिए Chand Par Shayari का शानदार करेक्शन लेकर आए हैं, जो की आपको बहुत पसंद आयेगा। दोस्तों मोहब्बत में अपने यार की तारीफ करने की जब बात आती हैं तो शुरुवात चाँद की खूबसूरती से होती हैं..
क्योकि चाँद हमेशा ही प्यार की निशानी माना जाता हैं, क्योंकी हर प्यार करने वाले को अपने मेहबूब की सूरत में चाँद नज़र आता हैं, तो आइये देर किस बात की शुरुआत करते चाँद की तारीफ़ करते हुए बेहतरीन चाँद शायरी को पढ़ना, दोस्तों हम आशा करते है कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आएगा, आप हमारे इस पोस्ट को अपने दोस्तों को जरुर शेयर करे.
Chand Shayari
वो “चाँद” कह के गया था कि आज_निकलेगा,तो #इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ आज ‘शाम’ से मैं…
तू “चाँद” और मैं सितारा होता, ‘आसमान’ में एक #आशियाना हमारा होता,लोग तुम्हे_दूर से देखते, ‘नज़दीक़’ से देखने का, हक़_बस हमारा होता..!!
“करीब” आने से ही चलता है #शख्सियत का पताजमीन से तो “चाँद” भी छोटा सा दिखता है
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Chand Shayari Gulzar |
“चाँद” को देख कर पता_चलता हैखूबसूरत ‘चीज़’ को पाना कितना मुश्किल है।
बुझ गये “ग़म” की हवा से, प्यार के #जलते चराग,बेवफ़ाई “चाँद” ने की, पड़ गया इसमें_भी दाग…
साथ_साथ घुमते है रात भरलोग मुझे ‘तारा’ और उन्हे ”चाँद” कहते है।
क्यू मेरी_तरह रातो को रहता है परेशा,ऐ “चाँद” बता किस से तेरी_आँख लड़ी है।
तुम_सुबह का “चाँद” बन जाओ, मैं सांझ का ‘सूरज’ हो जाऊँ,मिलें #हम_तुम यूँ भी कभी, तुम मैं हो जाओ, मैं तुम हो जाऊँ……
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Chand Quotes In Hindi |
“चाँद” भी हैरान… दरिया भी परेशानी में है,अक्स_किस का है ये इतनी_रौशनी पानी में है।
#दिन में चैन नहीं ना होश है रात मेंखो गया है “चाँद” भी देखो ‘बादल’ के आगोश में !
मेरे गांव का #हुस्न मत पूछ“चाँद” वहा कच्चे “मकान” में रहता है
#मुन्तज़िर हू कि सितारो की ‘जरा’ आख लगे,“चाँद” को छत पे बुला लूगा #इशारा करके।
कौन_कहता है क़ि “चाँद” तारे तोड़ लाना ज़रूरी है,दिल को छू जाए #प्यार से दो लफ्ज़, वही काफ़ी है…
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Chand Par Shayari |
बेसबब_मुस्कुरा रहा है “चाँद”कोई साजिश #छुपा रहा है “चाँद”
Chand Shayari In Hindi
#प्रभात हुई कि जगानें लगता है हमकों_सूरजकहता है बडा #घमंड था अपने ”चाँद” पर अब कहो.
सारी रात #गुजारी हमने इसी ‘इन्तजार’ में की,अब तो “चाँद” निकलेगा आधी रात में…
वो थका_हुआ मेरी बाहों में #ज़रा सो गया था तो क्या हुआ,अभी मैं ने देखा है “चाँद” भी किसी #शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ
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Chand Shayari In Hindi |
#ढूँढता हूँ मैं जब अपनी ही #खामोशी को,मुझे कुछ_काम नहीं दुनिया की बातों से,आसमाँ दे न सका “चाँद” अपने दामन का,माँगती रह गई “धरती” कई रातों से।
इन #आँखों को जब तेरे “चाँद” जैसे_चेहरे का,#दीदार हो जाता है,सच कहू, वो दिन_कोई सा भी हो,लेकिन #त्यौहार हो जाता है.
एक ये दिन हैं जब “चाँद” को देखे मुद्दत बीती जाती हैं, एक वो ‘दिन’ थे जब “चाँद” खुद हमारी छत पे आता करता था.
ना जाने किस_रैन बसेरो की तलाश है इस “चाँद” को,रात भर बिना कम्बल #भटकता रहता है इन सर्द रातो में……
काश हमारी #क़िस्मत में ऐसी भी कोई ‘शाम’ आ जाएएक “चाँद” फ़लक पर निकला हो एक_छत पर आ जाए।
#चिराग से अंधेरे दूर हो जाते तो,“चाँद” की चाहत किसे होती,काट सकती अकेले ये #ज़िन्दगी तो,दोस्ती_नाम की ये चीज़ ही क्यों होती.
तुम सुबह का “चाँद” बन जाओ,मैं ‘सांझ’ का सूरज हो जाऊँ,मिलें हम-तुम यूँ भी कभी,तुम_मैं हो जाओ,मैं तुम हो जाऊँ..
लोग #मोहब्बत में “चाँद” तारे मांगते हैमुझे बस तू एक चाय_पिला दे
छोड जाते है लोग #अक्सर रुला करबस एक “चाँद” ही है जो अब तक #आसमा से वफा करता है।
अच्छा_लगेगा गर कभी आशना समझ के तुम मेरा_हाथ थाम लोवरना #अजनबी की तरह तो मेरे साथ “चाँद” भी चलता है.
पूछो इस “चाँद” से कैसे सिसकते थे हम,उन तन्हा रातों में तकिये से #लिपटकर रोते थे हम,तूने तो देखा नही_छोड़ने के बाद,#दिल का हर एक राज़ “चाँद” से कहते थे हम।
सितारों की पहचान “चाँद” से होती है, फूलों की पहचान उसकी #खुशबू से होती, ऐ दोस्त अपनी पहचान “तुम्हारी” दोस्ती से होती है
#तुझको देखा तो फिर_उसको ना देखा मैंने,“चाँद” कहता रह गया मैं “चाँद” हूँ मैं “चाँद” हूँ.
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Moon Shayari |
कितना हसीन ”चाँद” सा चेहरा है,उसपे #शबाब का रंग गहरा है,खुदा को ‘यकीन’ न था वफ़ा पे,तभी “चाँद” पे तारों का पहरा है.
रातों में #टूटी छतों से टपकता है “चाँद”,बारिशों सी #हरकतें भी करता है “चाँद”..
“दिन” में चैन नहीं ना होश है रात में, खो गया है “चाँद” भी देखो #बादल के आगोश में.
“चाँद” उतर आया जैसे जमीं पे,दुनिया नज़र आई_हमको यहीं पे.
खुले “आसमान” में छत पर सोने जैसा है तेरा #इश्क़,“चाँद”नी रात की बाहों में “चाँद” के होने जैसा तेरा #मोहब्बत।
#मुहब्बत में झुकना कोई ‘अजीब’ बात नहीं,चमकता #सूरज भी तो ढल जाता है “चाँद” के लिए..
Moon Shayari
चिराग से #अंधेरे दूर हो जाते तो “चाँद” की चाहत किसे होती,काट सकती अकेले ये #ज़िन्दगी तो, दोस्ती नाम की ये ‘चीज़’ ही क्यों होती
#रात में एक टूटता तारा देखा “बिलकुल” मेरे जैसा था“चाँद” को कोई_फर्क नहीं पड़ा बिलकुल तेरे जैसा था !
आज फिर “चाँद” उदास हैआज फिर तारे_सोने लगे हैआज फिर तेरी दी हुई #तन्हाई हैआज फिर हम_रोने लगे है।
हमारी आरज़ू_बचपन से “चाँद” देखने की थी,और फिर हमारी आप से #मुलाक़ात हो गयी।
वैसे तो कई_दोस्त है हमारे जैसे #आसमान में,कई तारेपर हमारे #दोस्ती के आसमान के वो “चाँद” हैं,जिसके सामने_फीके पड़ते हैं सारे सितारे….
#तस्वीर बना कर तेरी #आस्मां पे टांग आया हूँ ,और लोग पूछते हैं आज “चाँद” इतना बेदाग़ कैसे है…
#इश्क करना होतो रात की तरह करोजिसे “चाँद” भी पसंद हो और “दाग” भी कबूल ना हो।
“चाँद” पर कभी अंधेरा होता ही होगा“चाँद” से तारो का “रूठना” कभी होता ही होगातुम कितना भी छुपालो हमसेतुम्हारा #दिल हमारे लिए #धड़कता ही होगा।
“चाँद” तो अपनी “चाँद”नी को ही निहारता है,उसे कहाँ खबर कोई_चकोर प्यासा रह जाता है..
#अबतलक ये समझ न पाए हम – ग़म क्यूँ ख़रीद लाये,हवेली थी #मोम की और छत पर_सूरज उतार लाये हम।
तस्वीर_बनाकर तेरी आसमान पर #टांग आया हूँ…और लोग पूछते हैं आज “चाँद” इतना बेदाग कैसे है…
तेरे सर से #हिज़ाब का सरकनाएक शायर का “चाँद” पे फ़िदा हो जाना,और दोनों का इक साथ होना…
काश तु “चाँद” और मैं सितारा होता,आसमान में एक #आशियाना हमारा भी होता,लोग तुम्हे_शिर्फ़ दूर से ही निहारते,नज़दीक़ से देखने का हक़ #शिर्फ़ हमारा होता……
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Chand Pe Shayari |
“चाँद” सूरज की तरह तुम भी हो_क़ुदरत का खेलजैसे हो वैसे रहो #बनना बिगड़ना छोड़ो
बहकी-बहकी ये रातें और #महकी-महकी सी साँसे,“चाँद” का दीदार और हमारी बातें।
एक अदा आपकी #दिल चुराने कीएक अदा आपकी #दिल में बस जाने कीचेहरा_आपका “चाँद” और जिद हमारी “चाँद”को पाने की
वो थका हुआ मेरी_बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या_हुआअभी मैं ने देखा है “चाँद” भी किसी #शाख़.ए.गुल पे झुका हुआ !
ऐ “चाँद” तु मुझे इतना बता_तू मेरा क्या लगता है,मेरे साथ सारी_रात क्यू जगता है,मैं तो बन बैठा हूँ #दीवाना उनके प्यार में,तू भी किसी से बेपनाह “मोहब्बत” करता है क्या….
#आसमान की बुलंदियों पर नाम हो आपका,“चाँद” की धरती पर #मुकाम हो आपका,हम तो रहते है छोटी सी…
सारी रात_गुजारी हमने इसी #इन्तजार में की,अब तो “चाँद” निकलेगा आधी_रात में…
#ख़ुद को दूसरों से बराबरी करनाछोड़ दो सुरज़ हो या “चाँद” चमकताअपने_वक्त पर ही हैं!
#दिन में चैन नहीं ना ‘होश’ है रात में,खो गया है “चाँद” भी देखो बादल के #आगोश में।
ये #दिल न जाने क्या कर बैठा…मुझसे बिना पूछे ही “फैसला” कर बैठा…इस #जमीन पर टूटा #सितारा भी नहीं गिरता और…ये पागल “चाँद” से ‘मोहब्बत’ कर बैठा…
शाम_उतरने लगी है खिड़की पर,बेसबर आँखों को “चाँद” का #इंतजार है!
#कभी तो आसमान से “चाँद” उतरे जाम हो जाए,तुम्हारे नाम की एक #ख़ूबसूरत शाम हो जाए।
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