Best 34+ Mir Taqi Mir Shayari (मीर मुहम्मद तकी मीर)

Mir Taqi Mir Shayari: मीर मुहम्मद तकी मीर इन को कौन नहीं जानता। आप भी इनके बारे में कुछ नहीं जानते तो में आपको बता दू की 18 वीं शताब्दी के मुगल भारत के उर्दू कवि थे, 

मीर मुहम्मद तकी मीर (फरवरी 1725 – 20 सितंबर 1810), जिसे मीर तकी मीर या मीर तकी मीर के नाम से भी जाना जाता है, ये उन अग्रदूतों में से एक थे जिन्होंने खुद उर्दू भाषा को आकार दिया। वह उर्दू ग़ज़ल के दिल्ली स्कूल के प्रमुख कवियों में से एक थे और उन्हें अक्सर उर्दू भाषा के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक के रूप में याद किया जाता है। 

उसका तखल्लुस (कलम नाम) मीर था। उन्होंने अपने जीवन का अंतिम भाग लखनऊ में आसफ-उद-दौला के दरबार में बिताया। तो कुछ उनके द्वारा लिखी गयी शायरी या ग़ज़ल हमने अपने इस पोस्ट में लिखी है जो की आपको बहुत पसंद आएँगी। 

Mir Taqi Mir Shayari

बेहोशी सी आती है तुझे उस की ‘गली’ में,
गर हो सके ए_मीर तो उस राह न जा तू।
Mir Taqi Mir Shayari
Mir Taqi Mir Shayari
मअरका गर्म तो हो लेने दो #ख़ूँ-रेज़ी का
पहले “शमशीर” के नीचे हमीं जा बैठेंगे
#गूँध के गोया पत्ती गुल की वो ”तरकीब” बनाई है
रंग ‘बदन’ का तब देखो जब चोली भीगे पसीने में
यह भी पढ़े।
Mir Taqi Mir Shayari In Hindi
अब कर के #फरामोश तो नौशाद करोगे
पर ‘हम’ जो न होंगे तो बहुत_याद करोगे
Mir Taqi Mir Shayari In Hindi
Mir Taqi Mir Shayari In Hindi
#सिरहाने मीर के कोई ना बोलो
अभी तक रोते_रोते सो गया है
Mir Taqi Mir Shayari In Hindi
चाह का #दावा सब करते हैं मानें क्यूँकर बे-आसार
अश्क की #सुर्ख़ी मुँह की ज़र्दी “इश्क़” की कुछ तो अलामत हो
Meer Taqi Meer Shayari
मुझको_शायर न कहो ‘मीर’ कि साहब मैंने।
दर्दों-ग़म ‘जमा’ किये कितने तो #दीवान किया।।
Meer Taqi Meer Shayari
#बाहम हुआ करे हैं #दिन रात नीचे ऊपर
वो नर्म शाने लौंडे हैं “मखमली” दो ख्वाबा
Meer Taqi Meer Shayari
पत्ता-पत्ता बूटा बूटा हाल #हमारा जाने है,
जाने न जाने ”गुल” ही न जाने बाग़ तो #सारा जाने है।
सरापा आरज़ू होने ने #बंदा कर दिया हम को
वगर्ना हम ख़ुदा थे गर #दिल-ए-बे-मुद्दआ होते
इक हूक सी #दिल में होती है इक दर्द जिगर में होता है,
में रातों उठ – उठ रोता हूँ, जब सारा_आलम सोता है।

Meer Taqi Meer Shayari

Meer Taqi Meer Shayari
Meer Taqi Meer Shayari
#पैमाना कहे है कोई मयखाना कहे है
दुनिये तेरी आँखों को_भी क्या क्या ना कहे है
क्या क्या_फ़ितने सर पर उसके लाता है ”माशूक़” अपना
जिस बेदिल #बेताब-ओ-तवाँ को इश्क़ का मारा जाने है
आशिक़ तो मुर्दा है हमेशा जी_उठता है देखे उसे
यार के आ जाने को #यकायक उम्र दो बारा जाने है
कौन_लेता था नाम मजनूँ का
जब कि #अहद-ए-जुनूँ हमारा था
गूँध के गोया_पत्ती गुल की वो तरकीब बनाई है
रंग बदन का तब देखो जब चोली #भीगे पसीने में
मिरे सलीके से, मेरी निभी #मुहब्बत में
तमाम_उम्र, मैं नाकामियों से काम लिया
Meer Taqi Meer Shayari
उम्र_गुज़री दवाएँ करते ‘मीर’
दर्द-ए-दिल का हुआ न चारा_हनूज़
अहद-ए-जवानी रो रो काटा #पीरी में लीं आँखें मूँद
यानी #रात बहुत थे जागे सुब्ह हुई आराम किया
क्या_कहूँ तुमसे मैं क्या है इश्क़
जान का रोग है ‘बला’ है इश्क़।
अमीर-ज़ादों से #दिल्ली के मत मिला कर #मीर,
कि हम “ग़रीब” हुए हैं इन्हीं की दौलत से।
मीर “साहब” तुम फरिश्ता हो तो हो
आदमी होना #मुश्किल है मियाँ
Meer Shayari
#आंखों में ही रहे हो ‘दिल’ से नहीं गए हो,
हैरान हूं ये_शोख़ी, आई तुम्हें कहां से।
#बेखुदी ले गयी कहाँ हमको,
देर से इन्तेजार है अपना #रोते फिरते हैं सारी सारी रात,
अब यही #रोज़गार है अपना।
इक़रार में कहाँ है “इंकार” की सी सूरत
होता है शौक़_ग़ालिब उस की नहीं नहीं पर
अपने तड़पने की मैं #तदबीर पहले कर लूँ,
तब फ़िक्र मैं करूँगा ‘ज़ख़्मों’ को भी रफू का।
दे के #दिल हम जो हो गए मजबूर
इस में क्या #इख़्तियार है अपना
Meer Shayari
अब तो _लते हैं बुतकदे से ऐ मीर,
फिर मिलेंगे गर #खुदा लाया।
किन नींदों अब तू सोती है ऐ #चश्म-ए-गिर्या-नाक
मिज़्गाँ तो खोल शहर को “सैलाब” ले गया
जिन_जिन को था ये “इश्क़” का आज़ार मर गए
अक्सर_हमारे साथ के बीमार मर गए
आए हो घर से उठ कर मेरे ”मकाँ” के ऊपर
की तुम ने #मेहरबानी बे-ख़ानुमाँ के ऊपर
Meer Shayari
Meer Shayari
न हुआ_पर न हुआ ‘मीर’ का अंदाज़ नसीब।
जौक़ ”यारों” ने बहुत ज़ोर #ग़ज़ल में मारा।।
अश्क ”आंखो” में कब नहीं आता
लहू आता है जब_नहीं आता।
होश जाता नहीं रहा लेकिन
जब वो आता है “तब” नहीं आता।
दिल से #रुखसत हुई कोई ख्वाहिश
गिरिया कुछ बे-सबब नहीं आता।
इश्क का “हौसला” है शर्त वरना
बात का किस को #ढब नहीं आता।
जी में क्या-क्या है अपने ऐ #हमदम
हर “सुखन” ता बा-लब नहीं आता।
किसू से #दिल नहीं मिलता है या_रब
हुआ था किस #घड़ी उन से जुदा मै।
दिल की #वीरानी का क्या मज़कूर है
ये नगर सौ मर्तबा_लूटा गया

तो आपको हमारे Meer Shayari कैसे लगे। अगर यह कोट्स आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। आपको इन Meer Taqi Meer Shayari को पढ़कर काफी अच्छा महसूस हुआ होगा। आगे भी ऐसी  कोट्स के लिए हमे Follow करे हमारे Instagram पर और Quotes को Share करे। धन्यवाद।

Leave a Comment