55+ Bachpan Ki Yaade ( बचपन की यादें शायरी हिंदी संदेश )

Bachpan Ki Yaade: हेल्लो दोस्तों, इस पेज पर हम आपके लिए पेश कर रहे हैं कुछ बेहतरीन बचपन शायरी, हम सभी को अपना बचपन का वक्त बहुत प्यारा होता है, अगर में अपने जीवन की बात करू और कोई मेरे से पूछे आपके जीवन में आपके सबसे यादगार पल कौन से है में सबसे पहले Childhood को याद करता हु, 

और दोस्तों व बड़े भाई के साथ खले हुए पल मनुष्य जीवन का सबसे सुनहरा पल बचपन है, जिसे पुनः जी लेने की लालसा हर किसी के मन में हमेशा बनी रहती है. परंतु जीवन का कोई बीता पहर लौटकर पुनः वापस कभी नहीं आता, रह जाती है तो बस यादें जिसे याद करके सुकून महसूस किया जा सकता है. हर किसी के बचपन का सफर यादगार और हसीन होता है, 

इसलिए अक्सर लोगों से मुंह से यह कहते जरूर सुना होगा कि “वो दिन भी क्या दिन थे।” जब भी हम अपनी बचपन की यादो को याद करते है एक मुस्कराहट जरूर आती है. इस पेज के अंत में हमने कुछ शानदार खूबसूरत बचपन शायरी इमेजेस दी हैं, आप इन बचपन शायरी इमेजेस को आसानी से डाउनलोड और शेयर कर सकते हैं.

Bachpan Ki Yade

ले चल मुझे  #बचपन की उन्हीं वादियों में ए #जिन्दगी,
जहाँ न कोई ”जरुरत” थी और न कोई जरुरी था.!!
Bachpan Ki Yaade
झूठ_बोलते थे फिर भी कितने #सच्चे थे हम
ये उन दिनों की ”बात” है जब बच्चे थे हम
#दूर मुझसे हो गया #बचपन मगर,
मुझमें बच्चे सा “मचलता” कौन है।
Bachpan Ki Yaade
Bachpan Ki Yaade

अजीब #सौदागर है ये वक़्त भी #जवानी का लालच दे के ”बचपन” ले गया !!

Bachpan Ki Yade
वो #शरारत, वो मस्ती का दौर था,
वो बचपन का ‘मज़ा’ ही कुछ और था।
Bachpan Ki Yade
उड़ने दो #परिंदों को अभी #शोख़ हवा में,
फिर लौट के “बचपन” के ज़माने नहीं आते।
Bachpan Ki Yade
Bachpan Ki Yade
एक #इच्छा है भगवन मुझे_सच्चा बना दो,
लौटा दो #बचपन मेरा मुझे ”बच्चा” बना दो।।
Bachpan Ki Yade

देखकर ”रेल” के डिब्बे बुहारता #बचपन,लोग कह देते हैं– “ पाँवों पे खड़ा है तो सही”

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Bachpan Ki Yaade Shayari
ना कोई_जरूरत थी!
ना कोई_जरूरी था!!
Bachpan Ki Yaade Shayari
बचपन की ”कहानी” थी बड़ी सुहानी,
बचपन में रह जाता, नहीं_आनी थी जवानी।
Bachpan Ki Yaade Shayari
कितनी ”आसान” थी बचपन के वो दिन, जहां
सिर्फ दो अंगुलियां जुड़ाने से #दोस्ती हो जाया करती थी.
Bachpan ki Yaadein shayari
Bachpan Ki Yaade Shayari

#बचपन भी कमाल का था खेलते_खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर आँख “बिस्तर” पर ही खुलती थी !!

Bachpan ki Yaadein shayari
#बचपन भी क्या खूब था ,
जब शामें भी हुआ_करती थी,
अब तो सुबह के बाद,
सीधा #रात हो जाती है।
#बचपन में जहाँ चाहा हँस लेते थे 
जहाँ चाहा रो_लेते थे और अब 
मुश्कान को #तमीज चाहिए  
और ”आंसुओं” को तन्हाई 
किसने कहा_नहीं आती वो #बचपन वाली बारिश… 
तुम भूल गए हो शायद अब_नाव बनानी कागज़ की…!!
मैं ने #बचपन में अधूरा #ख़्वाब देखा था कोई
आज तक “मसरूफ़” हूँ उस ख़्वाब की तकमील में

Shayari For Bachpan

Bachpan ki Yaadein shayari
Bachpan ki Yaadein shayari

बड़ी “हसरत” से इंसाँ बचपने को याद करता है ये फल_पक कर दोबारा चाहता है ख़ाम हो जाए

उड़ने दो #परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के “ज़माने” नहीं आते
#बचपन की हंसी कहीं “गुम” हो गई है,
शायद_बड़े होने के सफर में #पीछे रह गई है।
#खुदा अबके जो मेरी कहानी_लिखना
बचपन में ही मर ‘जाऊ’ ऐसी जिंदगानी #लिखना!!
#कागज की कश्ती थी पानी का “किनारा” था,
खेलने की #मस्ती थी और ये दिल_आवारा था,
कहा हम आ गए इस_समझदारी की दलदल में
नादान वो ”बचपन” भी कितना #प्यारा था!!
गुम सा गया है अब कही #बचपन,
जो कभी_सुकून दिया करता था।
कॉलेज के #होस्टल में खूब मस्ती की,
होस्टल लाइफ को भी काफी_अच्छे से जिया,
कॉलेज #खत्म होने के बाद,
हर वक्त उन ”दिनों” को याद किया।
Bachpan ki Yaadein shayari
सुबह की ”पिटाई” के बाद स्कूल जाता था,
कभी-कभी रोते-रोते #नाश्ता खाता था।

वो बचपन की #अमीरी न जाने कहां खो गई जब “पानी” में हमारे भी जहाज चलते थे…

आरजू की #बचपन ने खिलोने की लेकिन_हालात ने डांट दिया !
ज़िन्दगी तूने मेरा #बचपन भूख और “बेबसी” में बांट दिया !!
उड़ने दो #परिंदों को अभी शोख़ हवा में,
फिर लौट के “बचपन” के ज़माने नहीं आते।
बचपन में घर_छोड़कर भाग गया था,
एक घंटे बाद भूख लगी, तो घर_वापस आ गया था।
सपनों की #दुनियाँ से तबादला “हकीकत” में हो गया,
यक़ीनन ‘बचपन’ से पहले उसका #बचपना खो गया।
इस लिए तो “बच्चों” पर नूर बरसता हैं
शरारते करते हैं, साजिशें_तो नही करते।
Bachpan Shayari
Bachpan Shayari
झूठ ”बोलते” थे फिर भी कितने सच्चे थे हम
ये उन दिनों की बात है जब_बच्चे थे हम
बहुत ही ”संगीन” ज़ुर्म को,
हम अंज़ाम #देकर आए हैं!
बढ़ती उम्र के साए से,
कल “बचपन” चुरा लाए हैं!
साइकिल से #गिरने का डर लगा रहता था,
तेरा दोस्त हूं, मुझे ना #गिराना साइकिल से कहता था,
यह देख मेरे बाकी “दोस्त” मुझपर हंसते थे,
वे साइकिल के लिए मेरी #भावना को नहीं समझते थे।
#बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे
तब दिल नहीं सिर्फ_खिलौने टूटा करते थे
अब तो एक “आंसू” भी बर्दाश्त नहीं होता
और बचपन में जी ”भरकर” रोया करते थे

वो भोली-सी बातें,वो मीठी-सी #शरारतेंवो अजीब-सी आदतें ,वो बेपरवाह चाहतें। मज़ेदार होता था जीना, जिसमे #फ़िक्र थी कोई ना।

पुराना_बक्से खोला..
खिलौनों के साथ-साथ #बचपन भी मिल गया।
Bachpan Shayari
ना कुछ पाने की “आशा” ना कुछ खोने का डर
बस अपनी ही धुन, बस अपने #सपनो का घर
काश मिल जाए फिर ”मुझे” वो बचपन का पहर
#काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेलने की “मस्ती” थी ये दिल अवारा था
कहाँ आ गए इस #समझदारी के दलदल में
वो नादान बचपन भी “कितना” प्यारा था
#बचपन में न चिंता थी और न_फिक्र,
अब रहता है #करियर का डर।
#जिंदगी फिर कभी न #मुस्कुराई बचपन की तरह,
मैंने मिट्टी भी जमा की #खिलौने भी लेकर देखे।

अपने ”बच्चों” को मैं बातों में लगा लेता हूँ जब भी #आवाज़ लगाता है खिलौने_वाला

मेरा ”बचपन” भी साथ ले आया,
गाँव से जब भी आ_गया कोई।
Bachpan Shayari

बचपन में “आकाश” को छूता सा लगता था,इस_पीपल की शाख़ें अब ‘कितनी’ नीची हैं ।

#बचपन में खेल आते थे हर_इमारत की छाँव के नीचे…
अब पहचान गए है ”मंदिर” कौन सा और #मस्जिद कौन सा..!!
ना कुछ पाने की #आशा ना कुछ खोने का डर
बस अपनी ही धुन, बस अपने #सपनो का घर
काश_मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर
बचपन की दोस्ती थी #बचपन का प्यार था
तू #भूल गया तो क्या तू मेरे ‘बचपन’ का यार था
बचपन_समझदार हो गया,
मैं ढूंढता हू खुद को #गलियों मे।
कुछ_नहीं चाहिए तुझ से ऐ #मेरी उम्र-ए-रवाँ
मेरा ‘बचपन’, मेरे जुगनू, मेरी_गुड़िया ला दे।
वो दिन_कितने अच्छे थे,
जब हम #बच्चे थे।
Shayari For Bachpan
Shayari For Bachpan
काश ”कोई” लौटा दे बचपन के वो “बेखौफ” दिन,
जहां नींद कही_लग जाये, खुलती बिस्तर पर ही थी।
Shayari For Bachpan
कई “सितारों” को मैं जानता हूँ बचपन से
कहीं भी जाऊँ मेरे साथ_साथ चलते हैं
#फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर “खुशबु” लगाते है
वो बच्चे रेल के #डिब्बों मे जो झुण्ड लगाते है!!
ये “दौलत” भी ले लो ये शोहरत भी ले लो 
भले छीन लो मुझ से मेरी_जवानी 
मगर मुझ को #लौटा दो बचपन का सावन 
वो काग़ज़ की कश्ती वो #बारिश का पानी
क्यों कर रही “बारिश” सरारत ऐसे,
भिगो रही मेरे सारे #जज्बात कैसे
दिन बीत गए, महीने ,साल चले गए
पर आज भी वो #जज्बात बिखरे हुए हैं
हर लम्हा_थम कर ऐसे बैठा है
मानो कल ही तो #बीता है
तब भी ”उसकी” बाहों में हम भीगे थे
और आज भी उसकी #यादों मै भीगे है।
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