30+ Best Bulleh Shah Shayari | बुल्ले शाह शायरी हिंदी 2021

Bulleh Shah Shayari – सय्यद अब्दुल्ला शाह क़ादरी (शाहमुखी/गुरुमुखी) जीने बुल्ले शाह के नाम से भी जाना जाता है एक पंजाबी दार्शनिक एवं संत थे। उनके पूर्वज आधुनिक उजबेकिस्तान के बुखारा से चले गए थे। 

ऐसा माना जाता है कि बुल्ले शाह का जन्म 1680 में पंजाब के छोटे से गाँव उच, बहावलपुर, में हुआ था। बुल्ले शाह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंडोके में प्राप्त की, और उच्च शिक्षा के लिए कसूर चले गए। उन्होंने मौलाना मोहियुद्दीन से भी शिक्षा प्राप्त की। उनके पहले आध्यात्मिक गुरु संत सूफी मुर्शिद शाह इनायत अली थे, वे लाहौर से थे। 

बुल्ले शाह को मुर्शिद से आध्यामिक ज्ञान रूपी खाजने की प्राप्ति हुई और उन्हें उनकी करिश्माई ताकतों के कारण पहचाना जाता था। हालाँकि, बुल्ले शाह का परिवार सीधे पैगंबर मुहम्मद (PBUH) से उतरा था। आज हम उनके द्वारा लिखी कुछ शायरी को आपके सामने पेश कर रहे है। अगर Bulleh Shah Shayari In Hindi आपको पसंद आये तो अपने दोस्तों के साथ जरूर से शेयर करे। 

Bulleh Shah Shayari

*कोई हिर कोई ‘रांझा’ बना है, इश्क़ वे विच #बुल्लेशाह हर कोई फरीर क्यों बना है.*

Bulleh Shah Quotes
Bulleh Shah Shayari In Hindi

“गरूर ना कर #शाह ए शरीर का तेरा भी “खाक” होगा मेरा भी खाक होगा”

अपने “अन्दरौ” झुड मुका, सच द “ढोल” बजाया कर
रूखी सूखी_खाके तु, सजदे #विच जाया कर
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Baba Bulleh Shah Shayari
जहर देख के #पिता ते की किता, इश्क “शोच” के किता ते की किता
दिल दे के ‘दिल’ लेण दी आस रखी, वे बुल्ल्या
प्यार वी #लालच नाल किता, ते की किता
Baba Bulleh Shah Shayari
#बुल्ला कसर नाम कसूर है, ओथे ‘मूँहों’ ना सकण बोल । 
ओथे सच्चे गरदन_मारीए, ओथे #झूठे करन कलोल ।। 
जिस_तरह चाहे नचा ले 
तू इशारे पे मुझे ऐ #मालिक 
तेरे ही लिखे हुए ‘अफ़साने’ का 
#किरदार हूँ मैं 
रांझा_रांझा करदी नी मैं आपे रांझा होई_रांझा मैं विच, 
मैं रांझे विच, होर ‘खयाल’ न कोई नी मैं कमली हां”
इश्क “हकीकी” ने मुट्ठी कुड़े,
मैनूं दस्सो #पिया दा देस ।
मुँह #दिखलावे और छुपे छल-बल है जगदीस 
पास रहे हर न मिले इस को_बिसवे बीस 
जहर #वेख के पीता.. ते की पीता..?
इश्क़ “सोच” के कीता.. ते की कीता..?
दिल दे के दिल_लेैन दि आस राखी वे बुल्लेया…
प्यार वी ‘लालच’ नाल कीता ते की कीता..?
Bulleh Shah Shayari In Hindi
Bulleh Shah Quotes
ओ बुल्ले_शाह, ज़हर वैख के ‘पीता’ ते के पीता ? 
इश्क़ सोच के ‘कीता’ ते के कीता? 
दिल दे के , दिल_लेन दी आस रखी? 
प्यार इहो_जिया कीता, ते के कीता 
दिल नू लगे_रोन तो की करिए
किसी के याद विच “अखिया” रोन तो की करिए
सानू दी #मिलन दी आस रहती है हर वेड़े बुल्लेया
अगर यार ही भूल_जाड़ तो की करिए
राह से गुजरते हुए #रोज़ादार ‘मुसलमानों’ ने कहा : 
तुम्हें #शर्म नहीं आती, रमज़ान के “महीने” में गाजरें चर रहे हो
बुल्ले नूं “समझावण” आइयां 
भैणां ते भरजाइयां 
मन लै बुल्लया, 
साडा_कहना छड़ दे पल्ला_राइयां 
आल नबी, ‘औलाद’ अली नूं तूं क्यों लीकां लाइयां? 

Baba Bulleh Shah Shayari

Bulleh Shah Shayari In Hindi
#गुस्से विच ना आया कर, “ठंडा” कर के खाया कर
दिन तेरे भी_फिर जाएंगे , ऐसे ना #घबराया कर
Bulleh Shah Shayari

*आपने ज्ञान की हजारों “किताबें” पढ़ी होगी, लेकिन क्या आपने कभी खुद को ‘पढ़ने’ की कोशिश की है।*

बुत-ख़ाना तोड़_डालिए मस्जिद को ढाइए #दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है

बुल्ल्हा शौह दी #मजलस बह के,
सभ_करनी मेरी छुट्टी कुड़े,
मैनूं दस्सो #पिया दा देस।”

जब न “मंदिर” थे न मस्जिद थीं न #गिरजाघर कहीं तब हर जगह इंसान थे, सब के एक #भगवान थे।।

हाथ_जोड़ कर पाँव पडूँगी “आजिज़” होंकर बिनति #करुँगी झगडा कर भर झोली लूंगी, 
नूर मोहम्मद_सल्लल्लाह होरी खेलूंगी कह कर “बिस्मिल्लाह”
रंग बड़े “सुर्ख” होय ने.. पर होया नहीं #फकीरी ते अबीर दा..
सुफी़ #मुर्शिद बड़े होये ने.. पर होया नहीं बुल्ले_शाह दी नजीर दा…
Bulleh Shah Quotes
Bulleh Shah Shayari
इकना आस ‘मुड़न’ दी आहे, इक सीख_कबाब चढ़ाइयां ।। 
#बुल्लेशाह की वस्स ओनां, जो मार “तकदीर” फसाइयां ।। 
#नमाज़ रोज़ा ओहनां की करना,
जिन्हां प्रेम सुराही_लुट्टी कुड़े,
मैनूं ‘दस्सो’ पिया दा देस।”
‘बर्तन’ खाली हो तो ये मत समझो की #मांगने चला है ! 
हो सकता है सब_कुछ बाट के आया हो।”
“मनतक” मअने कन्नज़ कदूरी,
मैं पढ़ पढ़ इलम #वगुच्ची कुड़े,
मैनूं दस्सो पिया दा देस।”
रंग_बड़े सुर्ख होय ने.. पर होया नहीं #फकीरी ते अबीर दा..
सुफी़ #मुर्शिद बड़े होये ने.. पर होया नहीं बुल्ले_शाह दी नजीर दा…
Bulleh Shah Shayari
ऐसे “नाजुक” दील हैं लोख्या । साडा यार नु #दिल न धुखाया कर।।
ना झूठे वादे_किथ्था कर ,ना झूठे कस्मे खाया कर,,
तैनू किन्नी बार वाख्या वे । मैनू बार_बार ना आजमाया कर।।
तेरी याद #विच मै मर जावा । मैंनु इतना ‘याद’ ना आया कर ।।
चढ़दे “सूरज” ढलदे देखे,
बुझदे दीवे “बलदे” देखे ।
हीरे दा कोइ मुल ना जाणे,
खोटे #सिक्के चलदे देखे ।
बुतखाने #झूठी शान है इक धोखा है वहां
मस्जिद मे बस मलाल है नही_मौका है जहां
टटोलिये #खुद मे खुदा को भटके हो तुम कहाँ
आईये लौटकर करीब #दिल के शुकूं रहता है वहाँ. बुल्ले शाह
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