Sharabi Shayari In Hindi
तुम्हारे आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है
ना ज़ख्म भरे, ना शराब सहारा हुई,
ना वो वापस लौटे, ना मोहब्बत दोबारा हुई….
पहले तुझ से प्यार करते थे
अब शराब से प्यार करते हैं
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पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर ‘जलील’
बादल का रंग देख के नीयत बदल गई,.,!!!
तेरी आँखों के ये जो प्याले हैं,
मेरी अंधेरी रातों के उजाले हैं,
पीटा हूँ जाम पर जाम तेरे नाम का,
हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं!!
Sharabi Shayari
बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे
शमशान में पिया करूंगा,
जब खुदा मांगेगा हिसाब
तो पैग बना के दिया करूंगा
मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है,
बोला साहब लहू का दौर है शराब कौन पीता है।
जो सुरूर है तेरी आँखों में वो बात कहां मैखाने में
बस तू मिल जाए तो फिर क्या रखा है ज़माने में
मत कर हंगामा पीकर हमारी गली में,
हम तो खुद बदनाम है तेरी मोहब्बत के नशे में!
पिलाने वाले कुछ तो पिला दिया होता,
शराब कम थी तो पानी मिला दिया होता!
Sharabi Shayari With Images
चुप चाप चल रहे थे अपनी मंज़िल की ओर
फिर ठेके पर नज़र पड़ी और गुमराह से हो गये हम.
थोड़ी सी पी शराब थोड़ी उछाल दी
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी
मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है;
करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात।
तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी,
एक हम हैं कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे
नशा हम किया करते है,
इलज़ाम शराब को दिया करते हैं;
कसूर शराब का नहीं उनका है
जिनका चेहरा हम जाम में तलाश किया करते हैं।
Sharab Shayari 2 Lines
शराब और मेरा कई बार ब्रेकअप हो चुका है;
पर कमबख्त हर बार मुझे मना लेती है
यादों से सलाम लेता हूँ,
वक्त के हाथ थाम लेता हूँ,
ज़िन्दगी थम जाती है पल भर के लिए,
जब हाथों में शराब-ए-जाम लेता हूँ…
पी के रात को हम उनको भुलाने लगे
शराब मे ग़म को मिलाने लगे
ये शराब भी बेवफा निकली यारो
नशे मे तो वो और भी याद आने लगे !
जाम तो यू ही बदनाम है यारों कभी इश्क करके देखो,
या तो पीना भूल जाओगे या फिर पी-पी के जीना भूल जाओगे!!
है ये शराब दर्द की दवा मेरे,
इसे पीने में कोई खराबी नहीं,
होता है जब दिल में दर्द तो पी लेता हूँ,
वैसे हूँ मैं शराबी नहीं |
Daru Shayari
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ,
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश,
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ।
अभी तो इश्क़ हुआ है,
मंज़िल तो मयखाने में मिलेगी.
पीते थे शराब हम उसने छुडादी अपनी कसम दे कर
महेफिल में गए थे हम यारों ने पिलादी उसीकी कसम दे कर
कुछ तो शराफत सीख ले इश्क शराब से,
बोतल पे लिखा तो है मैं जानलेवा हूँ!!
हर किसी बात का जवाब नहीं होता
हर जाम इश्क में ख़राब नहीं होता
यूँ तो झूम लेते है नशे में रहने वाले
मगर हर नशे का नाम शराब नहीं होता
तुम हसीन हो गुलाब जैसी हो
बहुत नाजुक हो ख्वाब जैसी हो
दिल की धड़कन में आग लगाती हो
होठों से लगाकर पी जाऊँ तुम्हे सर से पांव तक शराब जैसी हो
Shayari On Sharab
नशा हम करते हैं,
इलज़ाम शराब को दिया जाता है,
मगर इल्ज़ाम शराब का नहीं उनका है,
जिनका चेहरा हमें हर जाम में नज़र आता है!
बहुत शराब चढ़ाता हूँ रोज़
तब जाकर तुम कही उतरती हूँ
तेरे होंठों में भी किया खूब नशा मिला
यूँ लगता है तेरे झूठे पानी से शराब बनती है
बात सजदों की नहीं नियत की है
मैखाने में हर कोई शराबी नहीं होता
फिर इश्क़ का जूनून चढ़ रहा है सिर पे,
मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे
Sharabi Dost Shayari
मैखाने मे आऊंगा मगर पिऊंगा नही साकी;
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती।
रहता तो नशा तेरी यादों का ही है
कोई पूछे तो कह देता हूँ, पी रखी है
बर्फ का वो शरीफ टुकड़ा जाम में क्या गिरा
बदनाम हो गया देता जब तक अपनी गवाही
वो खुद शराब हो गया
मिलावट है तेरे इश्क में
इत्र और शराब की
कभी हम महक जाते हैं
कभी हम बहक जाते हैं