Best Shayari On School Life In Hindi
जिंदगी की रोज की परेशानियों से कहीं अच्छे थे वो स्कूल के दिन
भले हम पर बंदिशें थी, फिर भी बड़े अच्छे थे वो स्कूल के दिन.
एक ज़िद की है दिल से कि फिर से स्कूल जाना चाहता हूँ
ज़िम्मेदारी को रख कर परे, सिर्फ बस्ते का बोझ उठाना चाहता हूँ
ए वक्त, तू इतना सिखाता है ऐसा पता होता,
तो तेरे ही स्कूल में दाखिला लिया होता ना।
बड़ा दर्द देता है समझदारियों का बोझ…
दिल कहता है टांग वही बस्ता निकल पढ़ने को तू फिर इक रोज।
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चलो अपनी मासूमियत हम ढूढ़ कर लाते हैं
चलो हम फिर से School की ओर जाते हैं.
School Shayari Image
वो जो जाते हैं स्कूल तक उन रास्तों से हम जुदा हो
गये आज अपने स्कूल से हम विदा हो गये!!
ना अश्क़ से वाकिफ थे, ना ही इश्क़ के
काबिल हुए हैं… फिर भी ऐ ग़म,
हम तेरी स्कूल में दाखिल हुए हैं…
बॉस के सामने तो जी हुजूरी बहुत करली
मैं टीचर को प्यार से सताना चाहता हूँ
अरे पगली मे तो तुझे तब से चाहता हूँ,
जब से तू स्कुल में दों चोटीया बांध कर आती थी !!
वो जो स्कूल के दरमियां गुजारे थे दिन अब
याद आ रहा है वाह वाह क्या थे वो दिन
School Shayari
याद आते है वो स्याही से रंगें हाथ,
क्या दिन थे वो जब करते थे लंच दोस्तों के साथ.
स्कूल की मोहब्बत में,खुमारी रहती थी
आज की मोहब्बत में,जलदबाज़ी रहती है।
काश हम पहले की तरह सच्चे हो जाते
काश हम फिर से बच्चे हो जाते.
जब स्कूल में थे तब कुछ बातें समझ न पाते थे।
कॉलेज जाना चाहते थे तब कॉलेज का जिंदगी अच्छा लगता था
अब कॉलेज आकर एहसास हुआ क्या हमने खोया है,
काश वो दिन फिर वापस आ जाए।
यूँ तो दुनिया की सारी बातें भूल जाता हूँ मैं
लेकिन School वाला प्यार, अब भी मुझसे भूला नहीं जाता.
स्कूल के भी क्या खूब दिन हुआ करते थे,
तुझे इम्प्रेस करने के चक्कर में स्वेटर नहीं पहना करते थे।
Shayari For School Life
वहाँ मार्ग की रुकावट नहीं बल्कि वहां
से उत्पन्न एक फूल हैं जहाँ से जीवन में
शिक्षा की शुरुआत हुई वह हमारा स्कूल है
हस्ते हुए रो देता हु मैं
जब स्कूल की मस्ती याद आती हैं
क्या जबरदस्त दिन थे वो
जब ज़िम्मेदारिया नहीं सिर्फ मस्ती थी
मुस्कुरा कर रह जाता हूँ जब भी याद आती है वो मस्ती
और जब भी याद आती है School की वो पुरानी बस्ती.
दुःख दर्द सब भूल जाते हैं चल फिर से स्कूल जाते हैं
School Friends Shayar
आज भी जब कॉलेज के दोस्त मिल जाते हैं,
तो दिल में जवानी के फूल खिल जाते हैं.
सोलह प्रकार की सब्जियां, चावल, पुरी आते थे,
बचपन में इस घर का खाना बड़े चाव से खाते थे।
बचपन में भले हीं स्कूल जाना अच्छा न लगे
लेकिन बाद में School की यादें बड़ी अच्छी लगती है.
जिंदगी के स्कूल में सबक तो बहुत मिलते हैं मगर छुट्टियाँ नहीं”
फिर से वो बस्ता थमा दो ना माँ स्कूल वाला मेरे काँधे में,
क्योंकि ज़िम्मेदारियों का बोझ बस्ते से बहुत भारी हैं…..!