Kumar Vishwas Shayari: तो आज हम आपके सामने जो शायरी लाये है वो Dr Kumar Vishwas ने लिखी है हमने जगह – जगह इन शायरियो को एकत्रित किया है। इस लेख में आप कुमार विश्वास जी के बेस्ट शायरी व विचार Kumar vishwas quotes in hindi पढेंगे।
तो जो लोग कुमार विश्वास जी को नहीं जानते तो हम उनको बता दे की। कुमार विश्वास (जन्म: १० फरवरी १९७०) एक भारतीय हिन्दी कवि, वक्ता और सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता हैं। वे आम आदमी पार्टी के नेता रह चुके हैं। वह मंचन, वाचन, गायन के साथ साथ वकतृत्व प्रतिभा के भी धनी हैं।
सब विधाओं में निपुण कुमार विश्वास हिंदी के प्राध्यापक भी रह चुके हैं। यह लेख बहुत ही आकर्षक ढंग से तैयार किया गया है और कुमार विश्वास के कोट्स के साथ आप उनके बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ प्राप्त करेंगे। तो चलिए दोस्तों शुरू करते है।
Kumar Vishwas Shayari
कोई “दीवाना” कहता है, कोई ‘पागल’ समझता है,मगर #धरती की बेचैनी को बस #बादल समझता है.मैं ‘तुझसे’ दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,ये तेरा दिल समझता है या मेरा “दिल” समझता है।
Kumar Vishwas Kavita |
लड़े वो #वीर जवानों की तरह ,ठंडा खून “फौलाद” हुआ …मरते मरते भी कई मार गिराए ,तभी तो देश “आजाद” हुआ … ।। 🙂
एक दो_दिन मे वो इकरार कहाँ आएगा,हर सुबह एक ही #अखबार कहाँ आएगा ,आज जो “बांधा” है इन में तो बहल जायेंगे,रोज_इन बाहों का #त्योहार कहाँ आएगा…!!
ना #पाने की खुशी है कुछ,ना “खोने” का ही कुछ गम है,ये ‘दौलत’ और #शौहरत सिर्फ कुछ #जख्मों का मरहम है !अजब सी #कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में,मुक्कमल जिंदगी तो है, मगर #पूरी से कुछ कम है !!
अपनी “दुनिया” अपनी धुन मे खो #जाऊ तो क्या होगा ?जैसी तुम हो मै भी #वैसा हो जाऊ तो क्या होगा…?
हर “मजहब” से सीखा हमने ,पहले #देश का नारा …मत बांटो इसे #एकही रहने दो ,प्यारा_हिंदुस्तान_हमारा … ।। 😊☺️
उसी की #तरह मुझे सारा ‘ज़माना’ चाहे,वो मेरा होने से #ज्यादा मुझे पाना चाहे,मेरी_पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,ये मुसाफिर हो कोई #ठिकाना चाहे।
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#सियासत में तेरा खोया या #पाया हो नहीं सकता,तेरी “शर्तों” पे गायब या “नुमाया” हो नहीं सकता ,भले साजिश से गहरे #दफ्न मुझको कर भी दो पर मैं ,“सृजन” का बीज हूं मिट्टी में जाया हो नहीं सकता..!
तुम्ही पे #मरता है ये दिल #अदावत क्यों नहीं करताकई #जन्मो से बंदी है “बगावत” क्यों नहीं करता..कभी_तुमसे थी जो वो ही शिकायत हे ज़माने सेमेरी तारीफ़ करता है #मोहब्बत क्यों नहीं करता..
#स्वंय से दूर हो तुम भी ‘स्वंय’ से दूर है हम भीबहुत “मशहूर” हो तुम भी बहुत #मशहूर है हम भीबड़े मगरूर हो #तुम भी बड़े मगरूर है हम भीअतः मजबूर हो तुम भी अतः #मजबूर है हम भी।
मेरे जीने_मरने में, तुम्हारा नाम आएगा.मैं सांस #रोक लू फिर भी, यही #इलज़ाम आएगा.हर एक #धड़कन में जब तुम हो, तो फिर “अपराध” क्या मेरा,अगर #राधा पुकारेंगी, तो “घनश्याम” आएगा.
कहीं पर #जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो_लिए तुम बिनभरी “महफिल” में भी अक्सर, #अकेले हो लिए तुम बिनये पिछले “चंद” वर्षों की कमाई साथ है अपनेकभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो_लिए तुम बिन
#गिरेबान चेक करना क्या है #सीना और मुश्किल है,हर एक पल “मुस्कुराकर” अश्क पीना और मुश्किल है,हमारी #बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,किसी के #इश्क़ में मरने से “जीना” और मुश्किल है.
ना पाने की #खुशी है कुछ ,ना #खोने का ही कुछ गम है…ये “दौलत” और शौहरत सिर्फ कुछ “जख्मों” का मरहम है…अजब सी #कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में…“मुक्कमल” जिंदगी तो है, मगर #पूरी से कुछ कम है…”
गाँव_गाँव ‘गाता’ फिरता हूँ, खुद में #मगर बिन गाय हूँ,तुमने #बाँध लिया होता तो खुद में “सिमट” गया होता मैं,तुमने छोड़ दिया है तो #कितनी दूर निकल आया हूँ मैं…!!कट न पायी किसी से “चाल” मेरी, लोग देने लगे मिसाल मेरी…!मेरे “जुम्लूं” से काम लेते हैं वो, बंद है जिनसे #बोलचाल मेरी…!!
हमारे “शेर” सुनकर भी जो #खामोश इतना है,#खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में #मदहोश कितना है.किसी “प्याले” से पूछा है सुराही ने #सबब मय का,जो खुद “बेहोश” हो वो क्या बताये होश कितना है.
#क़लम को खून में खुद के “डुबोता” हूँ तो हंगामा,गिरेबां अपना #आँसू में भिगोता हूँ तो हंगामा,नहीं मुझ पर भी जो खुद की #ख़बर वो है ज़माने पर,मैं #हँसता हूँ तो हंगामा, मैं “रोता” हूँ तो हंगामा…!!
हिम्मत-ए-रौशनी बढ़ जाती है,हम “चिरागों” की इन हवाओं से,कोई तो जा के #बता दे उस को,चैन #बढता है बद्दुवाओं से.
सब अपने “दिल” के राजा है, सबकी #कोई रानी है,भले “प्रकाशित” हो न हो पर सबकी_कोई कहानी है.बहुत #सरल है किसने कितना दर्द सहा,जिसकी जितनी #आँख हँसे है, उतनी #पीर पुरानी है.
Kumar Vishwas Poem In Hindi |
अगर “दिल” ही मुअज्जन हो #सदायें काम आती हैं,समन्दर में सभी #माफिक हवायें काम आती हैंमुझे आराम है ये #दोस्तों की मेहरवानी है,#दुआयें साथ हों तो सब “दवायें” काम आतीं है।
हमारे #शेर सुन कर भी जो “खामोश” इतना हैखुदा जाने गुरूर-ए-हुस्न में #मदहोश कितना हैकिसी “प्याले” से पुछा है सुराही मैं सबब में काजो खुद बेहोश हो वो_क्या बताये के होश कितना है
जो “धरती” से अम्बर जोड़े, उसका नाम #मोहब्बत है,जो शीशे से “पत्थर” तोड़े, उसका नाम #मोहब्बत है,कतरा कतरा #सागर तक तो,जाती है हर #उमर मगर,बहता ‘दरिया’ वापस मोड़े, उसका नाम #मोहब्बत है
सदा तो #धूप के हाथों में ही परचम नहीं होताखुशी के घर में भी #बोलों कभी क्या गम नहीं होताफ़क़त इक आदमी के “वास्तें” जग छोड़ने वालोफ़क़त उस #आदमी से ये ज़माना_कम नहीं होता।
#घर से निकला हूँ तो “निकला” है घर भी साथ मेरे,देखना ये है कि “मंज़िल” पे कौन पहुँचेगा,मेरी #कश्ती में भँवर बाँध के #दुनिया ख़ुश है,दुनिया देखेगी कि #साहिल पे कौन पहुँचेगा।
जब #कमरे में सन्नाटे की “आवाज” सुनाई देती है ,जब “दर्पण” में आँखों के नीचे #झाई दिखाई देती है ,
*ये उर्दू बज्म है* और में तोह हिंदी #माँ का जाया हु ,जबाने #मुल्क की बेहेने है ये “पैगाम” लाया हु ,मुझे दुगनी “महोब्बत” से सुनो उर्दू जबां वालो ..में अपनी माँ का बेटा हु , में घर #मोसी के आया हु ”…
जो किए ही_नहीं कभी मैंने , वो भी वादे #निभा रहा हूँ मैं.#मुझसे फिर_बात कर रही है वो , फिर से #बातों मे आ रहा हूँ मैं !!
“सदा” तो धूप के हाथों में ही #परचम नहीं होताखुशी के #घर में भी बोलों कभी क्या “गम” नहीं होताफ़क़त इक #आदमी के वास्तें जग #छोड़ने वालो फ़क़तउस “आदमी” से ये ज़माना #कम नहीं होता।
हमारे #शेर सुनकर भी जो “खामोश” इतना हैखुदा जाने गुरुर ए #हुस्न में मदहोश कितना हैकिसी प्याले से पूछा है “सुराही” ने सबब मय काजो खुद #बेहोश हो वो क्या बताये “होश” कितना है
“मोहब्बत” एक अहसासों की, #पावन सी कहानी है,कभी कबिरा #दीवाना था, कभी मीरा_दीवानी है,यहाँ सब “लोग” कहते हैं, मेरी “आंखों” में आँसू हैं,जो तू समझे तो #मोती है, जो ना समझे तो पानी है।
एक दो_दिन में वो इकरार कहा आएगाहर सुबह एक ही “अखबार” कहा आएगाआज #बंधा है जो इन् बातों में तो “बहाल” जायेंगेरोज इन बाहों का “त्यौहार” कहा आएगा
Kumar Vishwas Shayari In Hindi |
#मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँकितना ख़ामोश हूँ मैं #अंदर से
“दिल” तो करता है “ख़ैर” करता है आप का ज़िक्रग़ैर करता है क्यूँ न मैं #दिल से दूँ दुआ उस कोजबकि वो_मुझ से बैर करता है आप तो हू-ब-हू वही हैंजो मेरे “सपनों” में सैर करता है #इश्क़ क्यूँ आप सेये #दिल मेरा मुझ से पूछे बग़ैर करता हैएक ज़र्रा #दुआएँ माँ की ले “आसमानों” की सैर करता है
बतायें क्या हमें किन_किन सहारों ने सताया हैनदी तो #कुछ नहीं बोली, किनारों ने सताया हैसदा ही शूल मेरी राह से #ख़ुद हट गए लेकिनमुझे तो हर “घडी” हर पल बहारों ने सताया है
#तिरंगा कोई वस्त्र नहीं “भारत” की शान हैहर एक “हिंदुस्तानी” का यह हिंदुस्तान हैयहाँ की गंगा यही का #हिमालय चीख रहा हैनाम_मात्र नहीं ये हमारे #दिलो का स्वाभिमान है
भारत #प्यारा देश हमारा ,सब देशों से “न्यारा” है …हर रूत हर एक “मौसम” इसका ,कैसा प्यारा_प्यार है … ।।
कितनी #दुनिया है मुझे #ज़िन्दगी देने वालीऔर एक ख्वाब है #तेरा की जो मर जाता हैखुद को #तरतीब से जोड़ूँ तो कहा से जोड़ूँमेरी मिट्टी में जो तू है की “बिखर” जाता है…
हर एक #नदिया के होंठों पे “समंदर” का तराना है,यहाँ फरहाद के #आगे सदा कोई बहाना है !वही बातें पुरानी थीं, वही #किस्सा पुराना है,#तुम्हारे और मेरे बीच में ‘फिर’ से जमाना है
मिल गया था जो “मुक़द्दर” वो खो के निकला हूँ.में एक #लम्हा हु हर बार रो के निकला हूँ.राह-ए-दुनिया में मुझे “कोई” भी दुश्वारी नहीं.में तेरी #ज़ुल्फ़ के #पेंचो से हो के निकला हूँ .
#बदलने को तो इन आखोँ के “मंज़र” कम नहीं बदले ,तुम्हारी #याद के मौसम,हमारे #ग़म नहीं बदले ,तुम अगले “जन्म” में हम से मिलोगी,तब तो मानोगी ,ज़माने और सदी की इस #बदल में हम नहीं बदले..!!
Dr Kumar Vishwas Shayari
Dr Kumar Vishwas Shayari |
नज़र में #शोखिया लब पर “मुहब्बत” का तराना है,मेरी उम्मीद की #जद में अभी सारा जमाना है,कई जीत है दिल के #देश पर मालूम है मुझकों,#सिकन्दर हूँ मुझे इक रोज़ खाली-हाथ जाना है।
जब सारे_घर का समझाना हमको “फनकारी” लगता है,तब एक पगली #लड़की के बिन जीना ‘गद्दारी’ लगता है,और उस पगली_लड़की के बिन मरना भी #भारी लगता है !
#खुद को आसान कर रही हो ना, हमपे “एहसान” कर रही हो ना ,ख्वाब_सपने_सुकून , उमीदे…कितना #नुक्सान कर रही हो ना !
ये दिल #बर्बाद करके सो में क्यों “आबाद” रहते हो,कोई कल कह रहा था तुम #अल्लाहाबाद रहते हो !ये कैसी #शोहरतें मुझको अता कर_दी मेरे मौला,मैं सभ कुछ भूल जाता हूँ #मगर तुम याद रहते हो !!
#जवानी में कई ग़ज़लें अधूरी_छूट जाती हैंकई ख़्वाहिश तो #दिल ही दिल में पूरी छूट जाती हैंजुदाई में तो मैं उससे #बराबर बात करता हूं#मुलाक़ातों में सब बातें अधूरी छूट जाती हैं
ये “वक्त” बहुत ही नाजुक है,हम पर हमले #दर हमले है …#दुश्मन का दर्द यही तो है ,हम हर हमले_पर संभले है … ।।
#पनाहों में जो आया हो तो उस पर #वार क्या करनाजो दिल हारा हुआ “वोहा” पे फिर अधिकार क्या करनामुहब्बत का मजा तो डूबने की #कशमकश में हैग़ैर मालूम #गहराई तो दरिया पार क्या करना।
मै तेरा #ख्वाब जी लून पर लाचारी हैमेरा गुरूर मेरी “ख्वाहिसों” पे भरी हैसुबह के “सुर्ख” उजालों से तेरी मांग सेमेरे सामने तो ये #श्याह रात सारी है
वो जो #खुद में से कम निकलतें हैं,उनके ज़हनों में #बम निकलतें हैं.आप में कौन_कौन रहता है ?‘हम’ में तो सिर्फ हम निकलते हैं.
यह #चादर सुख की मोल क्यू, सदा_छोटी बनाता है.सीरा कोई भी_थामो, दूसरा खुद_छुट जाता है.#तुम्हारे साथ था तो मैं, #जमाने भर में रुसवा था.मगर अब तुम नहीं हो तो, “ज़माना” साथ गाता है।
प्रथम पद पर #वतन न हो, तो हम “चुप” रह नहीं सकतेकिसी शव पर “कफ़न” न हो, तो हम #चुप रह नहीं सकतेभले #सत्ता को कोई भी “सलामी” दे न दे लेकिनशहीदों को “नमन” न हो तो हम चुप रह नहीं सकते
#अमावस की काली रातों में, जब “दिल” का दरवाजा खुलता है ,जब दर्द की_प्याली रातों में, गम #आंसूं के संग होते हैं ,जब “पिछवाड़े” के “कमरे” में, हम ‘निपट’ अकेले होते हैं ,
#ख़ुशियों के बेदर्द लुटेरोग़म बोले तो “क्या” होगा#ख़ामोशी से डरने वालो‘हम’ बोले तो ‘क्या’ होगा..??
ये बहुत_ग़म की बात हो #शायदअब तो #ग़म भी गँवा-चुका हूँ मैं
Kumar Vishwas Ki Shayari |
चंद #चेहरे लगेंगे अपने से ,खुद को पर #बेक़रार मत करना !आख़िरश “दिल्लगी” लगी दिल पर? हम न कहते थे #प्यार मत करना…!!
वो_पगली लड़की नौ दिन मेरे लिए #भूखी रहती है,छुप_छुप सारे व्रत करती है, पर मुझसे #कभी ना कहती है,जो पगली_लड़की कहती है, मैं प्यार #तुम्ही से करती हूँ,लेकिन मै हूँ #मजबूर बहुत, अम्मा -बाबा से डरती हूँ
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