Bachpan Ki Yaade: हेल्लो दोस्तों, इस पेज पर हम आपके लिए पेश कर रहे हैं कुछ बेहतरीन बचपन शायरी, हम सभी को अपना बचपन का वक्त बहुत प्यारा होता है, अगर में अपने जीवन की बात करू और कोई मेरे से पूछे आपके जीवन में आपके सबसे यादगार पल कौन से है में सबसे पहले Childhood को याद करता हु,
और दोस्तों व बड़े भाई के साथ खले हुए पल मनुष्य जीवन का सबसे सुनहरा पल बचपन है, जिसे पुनः जी लेने की लालसा हर किसी के मन में हमेशा बनी रहती है. परंतु जीवन का कोई बीता पहर लौटकर पुनः वापस कभी नहीं आता, रह जाती है तो बस यादें जिसे याद करके सुकून महसूस किया जा सकता है. हर किसी के बचपन का सफर यादगार और हसीन होता है,
इसलिए अक्सर लोगों से मुंह से यह कहते जरूर सुना होगा कि “वो दिन भी क्या दिन थे।” जब भी हम अपनी बचपन की यादो को याद करते है एक मुस्कराहट जरूर आती है. इस पेज के अंत में हमने कुछ शानदार खूबसूरत बचपन शायरी इमेजेस दी हैं, आप इन बचपन शायरी इमेजेस को आसानी से डाउनलोड और शेयर कर सकते हैं.
Bachpan Ki Yade
ले चल मुझे #बचपन की उन्हीं वादियों में ए #जिन्दगी,जहाँ न कोई ”जरुरत” थी और न कोई जरुरी था.!!
झूठ_बोलते थे फिर भी कितने #सच्चे थे हमये उन दिनों की ”बात” है जब बच्चे थे हम
#दूर मुझसे हो गया #बचपन मगर,मुझमें बच्चे सा “मचलता” कौन है।
Bachpan Ki Yaade |
अजीब #सौदागर है ये वक़्त भी #जवानी का लालच दे के ”बचपन” ले गया !!
वो #शरारत, वो मस्ती का दौर था,वो बचपन का ‘मज़ा’ ही कुछ और था।
उड़ने दो #परिंदों को अभी #शोख़ हवा में,फिर लौट के “बचपन” के ज़माने नहीं आते।
Bachpan Ki Yade |
एक #इच्छा है भगवन मुझे_सच्चा बना दो,लौटा दो #बचपन मेरा मुझे ”बच्चा” बना दो।।
देखकर ”रेल” के डिब्बे बुहारता #बचपन,लोग कह देते हैं– “ पाँवों पे खड़ा है तो सही”
ना कोई_जरूरत थी!ना कोई_जरूरी था!!
बचपन की ”कहानी” थी बड़ी सुहानी,बचपन में रह जाता, नहीं_आनी थी जवानी।
कितनी ”आसान” थी बचपन के वो दिन, जहांसिर्फ दो अंगुलियां जुड़ाने से #दोस्ती हो जाया करती थी.
Bachpan Ki Yaade Shayari |
#बचपन भी कमाल का था खेलते_खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर आँख “बिस्तर” पर ही खुलती थी !!
#बचपन भी क्या खूब था ,जब शामें भी हुआ_करती थी,अब तो सुबह के बाद,सीधा #रात हो जाती है।
#बचपन में जहाँ चाहा हँस लेते थेजहाँ चाहा रो_लेते थे और अबमुश्कान को #तमीज चाहिएऔर ”आंसुओं” को तन्हाई
किसने कहा_नहीं आती वो #बचपन वाली बारिश…तुम भूल गए हो शायद अब_नाव बनानी कागज़ की…!!
मैं ने #बचपन में अधूरा #ख़्वाब देखा था कोईआज तक “मसरूफ़” हूँ उस ख़्वाब की तकमील में
Shayari For Bachpan
Bachpan ki Yaadein shayari |
बड़ी “हसरत” से इंसाँ बचपने को याद करता है ये फल_पक कर दोबारा चाहता है ख़ाम हो जाए
उड़ने दो #परिंदों को अभी शोख़ हवा मेंफिर लौट के बचपन के “ज़माने” नहीं आते
#बचपन की हंसी कहीं “गुम” हो गई है,शायद_बड़े होने के सफर में #पीछे रह गई है।
#खुदा अबके जो मेरी कहानी_लिखनाबचपन में ही मर ‘जाऊ’ ऐसी जिंदगानी #लिखना!!
#कागज की कश्ती थी पानी का “किनारा” था,खेलने की #मस्ती थी और ये दिल_आवारा था,कहा हम आ गए इस_समझदारी की दलदल मेंनादान वो ”बचपन” भी कितना #प्यारा था!!
गुम सा गया है अब कही #बचपन,जो कभी_सुकून दिया करता था।
कॉलेज के #होस्टल में खूब मस्ती की,होस्टल लाइफ को भी काफी_अच्छे से जिया,कॉलेज #खत्म होने के बाद,हर वक्त उन ”दिनों” को याद किया।
सुबह की ”पिटाई” के बाद स्कूल जाता था,कभी-कभी रोते-रोते #नाश्ता खाता था।
वो बचपन की #अमीरी न जाने कहां खो गई जब “पानी” में हमारे भी जहाज चलते थे…
आरजू की #बचपन ने खिलोने की लेकिन_हालात ने डांट दिया !ज़िन्दगी तूने मेरा #बचपन भूख और “बेबसी” में बांट दिया !!
उड़ने दो #परिंदों को अभी शोख़ हवा में,फिर लौट के “बचपन” के ज़माने नहीं आते।
बचपन में घर_छोड़कर भाग गया था,एक घंटे बाद भूख लगी, तो घर_वापस आ गया था।
सपनों की #दुनियाँ से तबादला “हकीकत” में हो गया,यक़ीनन ‘बचपन’ से पहले उसका #बचपना खो गया।
इस लिए तो “बच्चों” पर नूर बरसता हैंशरारते करते हैं, साजिशें_तो नही करते।
Bachpan Shayari |
झूठ ”बोलते” थे फिर भी कितने सच्चे थे हमये उन दिनों की बात है जब_बच्चे थे हम
बहुत ही ”संगीन” ज़ुर्म को,हम अंज़ाम #देकर आए हैं!बढ़ती उम्र के साए से,कल “बचपन” चुरा लाए हैं!
साइकिल से #गिरने का डर लगा रहता था,तेरा दोस्त हूं, मुझे ना #गिराना साइकिल से कहता था,यह देख मेरे बाकी “दोस्त” मुझपर हंसते थे,वे साइकिल के लिए मेरी #भावना को नहीं समझते थे।
#बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थेतब दिल नहीं सिर्फ_खिलौने टूटा करते थेअब तो एक “आंसू” भी बर्दाश्त नहीं होताऔर बचपन में जी ”भरकर” रोया करते थे
वो भोली-सी बातें,वो मीठी-सी #शरारतेंवो अजीब-सी आदतें ,वो बेपरवाह चाहतें। मज़ेदार होता था जीना, जिसमे #फ़िक्र थी कोई ना।
पुराना_बक्से खोला..खिलौनों के साथ-साथ #बचपन भी मिल गया।
ना कुछ पाने की “आशा” ना कुछ खोने का डरबस अपनी ही धुन, बस अपने #सपनो का घरकाश मिल जाए फिर ”मुझे” वो बचपन का पहर
#काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा थाखेलने की “मस्ती” थी ये दिल अवारा थाकहाँ आ गए इस #समझदारी के दलदल मेंवो नादान बचपन भी “कितना” प्यारा था
#बचपन में न चिंता थी और न_फिक्र,अब रहता है #करियर का डर।
#जिंदगी फिर कभी न #मुस्कुराई बचपन की तरह,मैंने मिट्टी भी जमा की #खिलौने भी लेकर देखे।
अपने ”बच्चों” को मैं बातों में लगा लेता हूँ जब भी #आवाज़ लगाता है खिलौने_वाला
मेरा ”बचपन” भी साथ ले आया,गाँव से जब भी आ_गया कोई।
बचपन में “आकाश” को छूता सा लगता था,इस_पीपल की शाख़ें अब ‘कितनी’ नीची हैं ।
#बचपन में खेल आते थे हर_इमारत की छाँव के नीचे…अब पहचान गए है ”मंदिर” कौन सा और #मस्जिद कौन सा..!!
ना कुछ पाने की #आशा ना कुछ खोने का डरबस अपनी ही धुन, बस अपने #सपनो का घरकाश_मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर
बचपन की दोस्ती थी #बचपन का प्यार थातू #भूल गया तो क्या तू मेरे ‘बचपन’ का यार था
बचपन_समझदार हो गया,मैं ढूंढता हू खुद को #गलियों मे।
कुछ_नहीं चाहिए तुझ से ऐ #मेरी उम्र-ए-रवाँमेरा ‘बचपन’, मेरे जुगनू, मेरी_गुड़िया ला दे।
वो दिन_कितने अच्छे थे,जब हम #बच्चे थे।
Shayari For Bachpan |
काश ”कोई” लौटा दे बचपन के वो “बेखौफ” दिन,जहां नींद कही_लग जाये, खुलती बिस्तर पर ही थी।
कई “सितारों” को मैं जानता हूँ बचपन सेकहीं भी जाऊँ मेरे साथ_साथ चलते हैं
#फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर “खुशबु” लगाते हैवो बच्चे रेल के #डिब्बों मे जो झुण्ड लगाते है!!
ये “दौलत” भी ले लो ये शोहरत भी ले लोभले छीन लो मुझ से मेरी_जवानीमगर मुझ को #लौटा दो बचपन का सावनवो काग़ज़ की कश्ती वो #बारिश का पानी
क्यों कर रही “बारिश” सरारत ऐसे,भिगो रही मेरे सारे #जज्बात कैसेदिन बीत गए, महीने ,साल चले गएपर आज भी वो #जज्बात बिखरे हुए हैंहर लम्हा_थम कर ऐसे बैठा हैमानो कल ही तो #बीता हैतब भी ”उसकी” बाहों में हम भीगे थेऔर आज भी उसकी #यादों मै भीगे है।